रात के दस बज रहे थे। गाँव की सुनसान गलियों में हल्की सी हवा चल रही थी। पूजा अपने कमरे में बैठी थी, उसने पिंक सूट पहना हुआ था,बाल खोले हुए थे और चेहरे पर हल्का सा काजल।
आज उसे अपने मायके जाना था।,भैया तो दिल्ली गए हुए थे,इसलिए माँ ने बुलाया था।इसलिए उसे छोड़ने के लिए मैं तैयार हुआ। मैं अपनी बाइक लेकर दरवाजे पर आ गया।“भाभी, चलिए बस स्टैंड तक मैं छोड़ देता हूँ,” रात वाली बस पकड़ लीजिए।
उसने मुस्कुराते हुए कहा हां अभी आई,पूजा का दिल थोड़ा सा धड़का। शादी के बाद पहली बार मेरे साथ अकेले जा रही थी,रास्ते भर मैं चुप था बस स्टैंड आते आते भाभी ने कहा “इतने चुप क्यों हो रोहन?”
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“कुछ नहीं भाभी, आप जा रही हैं तो मन उदास हो गया। घर सूना लगेगा,” मैंने धीरे से कहा,भाभी मुस्कुराई। उसे अच्छा लगा, किसी को उसकी कमी महसूस होगी। बस स्टैंड पर भीड़ कम थी। रात की ठंडी हवा उसके बालों को उड़ा रही थी,
मैंने टिकट लिया और बस के दरवाजे तक भाभी को छोड़ने आया,बस में ज्यादा भीड़ नहीं थी, भाभी ने विंडो सीट ले ली। मैं नीचे खड़ा था, हाथ हिला कर विदा कर रहा था। लेकिन तभी ड्राइवर बोला, “भाई, गाड़ी आधे घंटे में चलेगी, तब तक अंदर बैठ जाओ।”
मैं भी चुपचाप बस में चढ़ गया। भाभी ने कहा “तू उतर जा रोहन, लोग क्या सोचेंगे,“कोई नहीं भाभी, मैं यहाँ बैठा रहूँगा। अकेली क्यों बैठोगी?”
मैं भाभी के बगल वाली सीट पर बैठ गया। बाहर हल्की सी बारिश शुरू हो गई थी,
बस की खिड़की से ठंडी हवा और पानी की बूंदें भाभी के चेहरे को छू रही थीं। मैं उसे देख रहा था,“भाभी, आपको बारिश बहुत पसंद है ना?” मैंने पूछा,“हाँ, मायके में तो छत पर भीगती थी, यहाँ तो मौका ही नहीं मिला,” भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा,
तो आज भीग लीजिए,” मैंने ने धीरे से कहा। भाभी ने उसकी तरफ देखा। उसकी आंखों में अलग सी चमक थी,अचानक तेज बारिश शुरू हो गई। बस के शीशे से पानी बहने लगा, बिजली कड़की तो भाभी हल्का सा डर गई,
मैंने उसके हाथ पर हाथ रख दिया। भाभी ने धीरे से अपना हाथ हटाया लेकिन दिल की धड़कन तेज हो गई थी।“भाभी, डरिये मत, मैं हूँ ना,”मैंने कहा,भाभी कुछ नहीं बोली। बस चल पड़ी थी।रास्ता लम्बा था,
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बाहर रात के अंधेरे में स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी दिख रही थी। बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी, हम दोनों चुप थे लेकिन दिल में हलचल थी।
आधे घंटे बाद मैंने कहा“भाभी, मायके जाने के बाद मुझे याद करेंगी?”
भाभी मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई “क्यों नहीं करूंगी, तुम तो मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो।”
“सिर्फ दोस्त?” मैंने भाभी की आंखों में आंखें डाल कर पूछा। भाभी का चेहरा लाल हो गया। वो बाहर देखने लगी। दिल ज़ोर से धड़क रहा था।
थोड़ी देर बाद भाभी ने धीमे से कहा –“रोहन… कोई देख लेगा तो?”
“यहाँ कौन है भाभी… सब सो रहे हैं…”
मैंने भाभी हाथ पकड़ लिया। भाभी की पलकों पर पानी की बूंदें चमक रही थीं। बाहर बारिश और भी तेज हो गई थी। बस के भीतर हल्की पीली लाइट जल रही थी। उस रौशनी में भाभी का चेहरा और भी खूबसूरत लग रहा था।
मैंने ने भाभी कानों के पास जाकर धीरे से कहा “भाभी, आपको पता है… जबसे आप आयी हैं, तबसे मेरा दिल आप पर ही अटक गया है। कभी किसी लड़की को इस नजर से नहीं देखा।”भाभी की सांसें तेज हो गईं। उसने कोई जवाब नहीं दिया,
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सिर्फ मेरी पकड़ को महसूस करती रही,बस अचानक एक बड़े गड्ढे से गुज़री तो भाभ का सिर मेरे कंधे पर लग गया।भाभी ने जल्दी से सिर उठा लिया लेकिन मैंने उसे रोका,“ऐसे ही रहने दीजिए भाभी… अच्छा लग रहा है,”मैंने कहा। भाभी का दिल मानो रुक ही गया था।
रास्ता कटता गया। बारिश अब हल्की हो चुकी थी। बस भाभी के मायके के शहर में पहुंच चुकी थी,मैंने बस से उतरते हुए भाभी का सामान उठाया। स्टेशन के बाहर छोड़ते समय हम दोनों की आंखें भर आईं“भाभी, जल्दी वापस आइएगा “हाँ… तुम भी अपना ख्याल रखना,”
भाभी ने कहा वो मुड़ी और पीछे देखने लगी। मैं अब भी वहीं खड़ा था। बारिश की हल्की फुहारें उसके चेहरे पर गिर रही थीं। भाभी का दिल भर आया,कुछ रिश्ते नाम के मोहताज नहीं होते, बस दिल से बंध जाते हैं।
कहानी को अंत तक पढ़ने वालों का धन्यवाद…