मेरी चिकनी गीली चूत, गोल-मोल गांड, बूब्स की तरफ से टाँगे चौड़ी करते हुए नमस्कार ! गुरुजी आप सच में बहुत महान हो जो ऐसी वेबसाइट शुरु की है जिस पर कोई भी इंसान बोर नहीं होता, लोग अपने बिस्तर की कहानियां सबके सामने लाते हैं,
जिन्हें पढ़ कर औरतों की चूते गीली होती है, मर्दो के लंड हिल हिल कर सलामिया देने लगते होंगे,मर्दो की तो मर्द जाने ! एक औरत होने के नाते मेरी चूत तो गीली हो जाती है, पढ़ते-पढ़ते हाथ नाड़ा खोल कच्छी में चला जाता है,
फिर दिल करता है की रात को पतिदेव जल्दी घर आए और मुझे चोदें। पर मेरे पति का लंड बहुत छोटा है सिर्फ 6 इंच का ! न ज्यादा मोटा है न ही वो ज्यादा वक्त चोद पाते हैं,सौ बात की एक बात यह है कि मैं अपने पति से खुश नहीं हूँ, आजकल नया लंड ढूंढ रही हूँ। शादी को आज चार महीने हो चुके हैं,
आप सभी मेरी कहानी Fantasystories.in पर पढ़ रहे हैं, यहां पर आप को रिश्तों में चुदाई, दोस्त की हॉट मॉम की चुदाई,मेरी हॉट चाची,लेस्बियन सेक्स स्टोरी, देसी गांव की सेक्स स्टोरी,थ्रीसम सेक्स स्टोरी,देवरानी जेठानी का प्यार,ससुर बहू का गुप्त रिश्ता पढ़ सकते है,
खैर ऊपर तो मैंने शॉर्टकट में अपनी जिन्दगी की कुछ बातें लिखी है, मैं 24 साल की औरत हूँ, चार महीने की शादीशुदा हूँ, चूत बहुत प्यासी है क्योंकि शादी से पहले कई लंड थे,अब सिर्फ एक है शुरू से ही मैं एक चालू लड़की के तौर से जानी जाती थी,अठारह साल की उम्र में पहला लंड मेरी चूत में उतरा था,
मेरे चाचा के बेटे की शादी थी, पंजाब में शादी कई दिन पहले से शुरु हो जाती है, सर्दियों के दिन थे,उसके काफी दोस्त आए हुए थे, जिनके लिए भाई ने अलग इंतजाम किया था। वहीं दारु, खाना-पीना सब कुछ ! मैंने जवानी में नया-नया पैर रखा था,
मेरा दाना कूदने लगा था। ऊपर से मेरी कंपनी भी अच्छी नहीं थी। अपने से बड़ी लड़कों से मेरी दोस्ती थी जिनके दो दो बॉयफ्रेंड थे और चुदवाती भी थीं। वो भी रोज़ शाम को हमारे घर ही आ जाती थी,भाई के कई दोस्त हम तीनों पर लाइन मारते थे,
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एक पप्पी नाम के लड़के ने मुझे प्रपोज कर दिया मैंने कोई जवाब नहीं दिया, बस मुस्कुरा दी। वो समझ गया,ऐसे ही वो दोनों सहेलियां तो महान थीं, जहा दोस्त ठहरे हुए थे, वहीं पहुँच गई। पता नहीं कितनों से चुदवाया होगा,शगुन की रात से एक रात पहले सभी नाच रहे थे,
लड़के अलग, लड़कियां अलग ! नाचते-नाचते बहुत थक गई, पसीने से कुर्ती भीग गई, पप्पी की नज़र मेरे बूब्स पे थी, उसका ध्यान मुझ पर ही था। मैं पानी पीने के लिए नीचे गई, पप्पी मेरे पीछे आ गया। सभी ऊपर थे, उसने मेरी बांह पकड़ ली और मुझे अपने सीने से लगा लिया,
मैं पहली बार किसी लड़के के इतना करीब आई थी,मुझे कुछ कुछ होने लगा, शर्म से मुखड़ा लाल हो गया,उसने मेरे गुलाबी होंठों को चूम लिया, एक हाथ मेरी कुर्ती में डाल मेरे मम्मे (बूब्स) दबा दिए छोड़ो ! कोई आ जाएगा ! उसने थोड़ी पी रखी थी, बोला- चलो, दूसरे घर चलते हैं। सभी मस्त है ऊपर किसी को ध्यान नहीं है,
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प्लीज़ छोड़ो उसने मुझे उठाया और स्टोर रूम में ले गया, कुण्डी लगा दी और पास में पड़ी रजाई पर डाल मुझ पर सवार हो गया। मेरी कुर्ती उतार दी, लाचा खोल दिया, मेरे मम्मे चूसने लगा। मैं पहली बार किसी लड़के के नीचे नंगी हुई थी।उसने अपना लंड निकला और मेरे हाथ में दे दिया सहलाओ इसको,
प्लीज़ छोड़ दो ! यह गलत है !कुछ गलत नहीं है !बाहर अचानक कोई चीज़ गिरी तो हम अलग हुए। मैंने कुर्ती डाली, लाचा बांधा।
उसने मुझे कसम दे दी कि जिस घर में जा रहा हूँ, वहाँ कोई नहीं है, तुझे आना होगा, पहले वो धीरे से निकला,फिर मैं मैंने ऊपर जाकर सब अपनी सहेलियों को बताया,
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उन्होंने मुझे कहा- तुझे जाना चाहिए ! वो नाराज़ हो जाएगा! हम यहाँ देख लेंगे, कोई बात हुई तो संभाल लेंगी,मैं चुपके से उस घर चली गई जहाँ भाई ने सिर्फ दोस्तों के रुकने का इंतजाम किया हुआ था,जाते ही उसने मुझे बाँहों में कस लिया, बिस्तर पर उसने मुझे नंगी कर दिया, सिर्फ पेंटी रह गई,
उसने एक-दो पेग और लगा लिए थे, उसने मेरे निप्पल चूसने शुरु कर दिए, वो मेरे बढ़ रही चूचियों का रस पीने लगा,उसने अपना लंड निकाल कर मुझे पकड़ा दिया, मेरा सर पकड़ अपने लंड की ओर दबाया और अपने लंड को मेरे मुँह में डाल दिया,
मैं थोड़ा हैरान हुई ,उसने कहा- सेक्स में यह सब करना पड़ता है ! तेरा पति भी करवाया करेगा,मुझे उसका चूसना अच्छा लगने लगा,उसने 69 में लाकर मेरी चूत पर होंठ रख दिए और मैं पागल हो गई। मैं जोर जोर से उसके लंड को चूसने लगी। मेरा दिमाग घूम गया,
उसकी जुबान मेरी चूत में हरकत करती तो मैं पगला जाती,उसने मेरी दोनों टाँगे चौड़ी करवा ली और अपना लंड मेरी चूत पर टिकाते हुए रगड़ा तो मस्ती से मेरी आंखें बंद हो गई, लेकिन जैसे ही उसने झटका मारा, मानो मेरे गले में हड्डी फंस गई हो,
न चीख पा रही थी, क्योंकि दोनों होंठ उसने अपने होठों में ले रखे थे। आँखों से आंसू निकल आए लेकिन बेदर्दी ने अपना लंड जड़ तक पहुँचा कर छोड़ा ! खून से सफेद चादर पर दाग पड़ चुके थे। जब उसके लंड ने घुसाना शुरु किया तब जाकर मुझे राहत मिली। फिर तो मानो मुझे स्वर्ग दिखने लगा,
जब उसको लगा कि मैं सेट हो चुकी हूँ तो उसने मुझे ढीला छोड़ दिया, मैंने उसकी पीठ पर नाखून गाड़ दिए और गांड उठा-उठा कर चुदवाने लगी। उसने भी पूरे दम से मुझे चोदा,जैसे ही मेरा पानी निकला, उसके लंड ने भी अपना पानी छोड़ दया और दो रसों का मिलन हो गया,
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उसने अपना लण्ड मेरी चूत में से निकाला मेरे मुँह में घुसा दिया, मैंने उसे चाट कर साफ किया और वो फ़िर मेरे अंगों से खेलने लगा,उसने पास पड़ी बोतल से पेग बनाया आधा मुझे पिला दिया, इतना ही काफी था मुझे घुमाने के लिए,
मैं भी उसके लंड से खेलने लगी, लण्ड दोबारा खड़ा होने लगा तो मैंने चूस कर उसको पूरा खड़ा कर दिया,उसने मुझे अपने लंड पर बैठने को कहा तो मैंने हाथ नीचे ले जाकर ठिकाने पर सेट किया और उसको अपने अन्दर ले लिया, थोड़ी तकलीफ के बाद पूरा घुस गया,
रात के तीन बजे तक उधर संगीत चला, इधर चुदाई ! इतने में उसने मुझे तीन बार चोदा,पहली चुदाई में ही तीन बार चुदी,उसने मुझे अगली रात फिर से आने का वादा लिया,अगली रात चली तो गई लेकिन अँधेरा होने की वजह से किसी और की बाँहों में जा बैठी ये सोचा समझा धोखा था ? जो भी था, खैर छोड़ो, कहानी को अंत तक पढ़ने वालों का धन्यवाद..
Note ये कहानी सत्या घटना है केवल नाम और स्थान बदले हुए हैं..