नंगी जुबैदा की चुदाईजुबैदा को देखने के बाद किसी भी आदमी की भूख-प्यास मर जायेगी, वो ऐसे ही यौवन भार सजी हुई थी ! उसकी भरी उभरी छाती, भरपूर नितम्ब, लचकदार चाल देख कर बड़ों बड़ों के होश उड़ जाते थे,
कोई भी जुबैदा को देखता तो उसके जहन में सबसे पहले यही बात आती कि काश इसकी कया को भगने का अवसर मिल जाए ! किशोर, युवा, प्रौढ़ हो या वृद्ध, जुबैदा की मस्त चुदाई करने की ही सोचता था, जुबैदा थी ही ऐसी ! जुबैदा का पति कासिम बहुत ही सीधा सादा था,
जुबैदा की उसके मन भर चुदाई करना उसके बस की बात नहीं थी और उसके ही नसीब में ऐसा ऐटम बम्ब ऊपर वाले ने लिखा था, पता नहीं जुबैदा के भाग्य फूटे थे जो उसे कासिम जैसा खाविन्द मिला था या कासिम के भाग्य की विडम्बना थी कि खुदा ने उसके हाथ में यह हूर तो पकड़ा दी,
पर वो जोश उसके बदन में नहीं भरा जिससे वो उस परी को भोग पाता ! कासिम ने खेत में ही दो कमरे का घर खड़ा किया था… खेत में जानवरों का चारा और खेती का काम सब वो ही देखता था, गाँव में भी घर था, आम तौर पर कासिम खेत पर और जुबैदा गाँव वाले घर में रहती थीं,
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अक्सर जुबैदा भी खेत में चली जाती थी! कासिम दिन में काम के कारण और रात को जुबैदा के जोबन की आंच से बचने को खेत की रखवाली करने के बहाने वहीं रह जाता था। जब कभी लाला की दुकान से नून-तेल लेने जाती थी तो वो मेरे घर के सामने से ही होकर जाती थी,
जाते वक्त हमेशा मुझसे बोल कर जाती थी-… “क्यूँ किसना, खाना वाना खाया या नहीं? कभी कभी मूड में आई तो वो मुझे बोलती थी- अरे किसना, तेरा बियाह नहीं हुआ है तो किसी लौण्डी को घर ले आता होगा मजा लूटने के लिये ! जुबैदा का बिरजू नाम का कोई अशिक़ है, ऐसा मैंने सुना है,
मैंने उस बिरजू को एक बार देखा और आश्चर्य चकित हो गया… क्योंकि वो बिरजू तो टकला था.. मैं सोच में पड़ गया कि जुबैदा इतनी खूबसूरत है और इस टकले के साथ कैसे चोंच लड़ाती होगी ! वैसे तो ‘उसका और जुबैदा का लफड़ा है’ उस बात पर मेरा विश्वास नहीं था,
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और जिस दिन से मुझे यह बात पता लगी थी, उस दिन से मेरे दिल में जलन सी पैदा हुई थी ! क्योंकि जुबैदा मुझे बहुत पसंद थी उसकी खूबसूरती का मैं तो दीवाना था,मैं एक दिन नदी से नहा के वापस आ रहा था,
जुबैदा के खेत के घर से गुजरते समय मुझे किसी की आवाज सुनाई दी… चुपके से मैं पीछे की खिड़की के दरवाजे के पास गया, खिड़की का दरवाजा आधा खुला था ! मैंने सोचा आज जरूर कुछ देखने को मिलेगा। मैं जरा सी भी आवाज न करते हुए खिड़की के दरवाजे के पास कान ले गया और सुनने लगा,
एक मर्दाना और जुबैदा की आवाज सुनाई दे रही थी ! जुबैदा कह रही थी रात को गांव के घर में आने वाले थे, क्यूँ नहीं आए तुम? फिर मर्दाना आवाज आई- रात को तुम्हारे यहाँ आने का सोच कर थोड़ी पीने वाला था पर कुछ ज्यादा ही चढ़ गई, इसलिये नहीं आया,
उसके बाद चुम्मियाँ लेने की आवाज सुनाई दी, मेरे शरीर में लहर सी दौड़ गई ! अब कुछ चुदाई जैसा देखने को मिलेगा, ऐसा सोचकर मैंने धीरे धीरे आवाज न करते हुए खिड़की से झांक लिया ! मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा था क्योंकि सामने का नजारा ही कुछ ऐसा था,
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सचमुच चुदाई का कार्यक्रम चालू होने वाला था ! जुबैदा पलंग पर सिर्फ घाघरे में ही लेटी हुई थी और उसके गोल मटोल स्तन खुले थे और बगल में बैठा बिरजू उन्हें दबा रहा था। “कासिम कौन से गाँव गया है?” बिरजू ने स्तन दबाते दबाते कहा ! “मिरजापुर गया है,
उसकी मौसी के यहाँ !” जुबैदा ने बिरजू की छाती पर हाथ फिराते हुए कहा। बिरजू तो सिर्फ कच्छे में था उसका लंड उसमें से खड़ा हुआ दिख रहा था ! जुबैदा अपना हाथ उसकी छाती से हटा कर उसके लंड पर फिराने लगी,
बिरजू का हाथ उसकी चूचियों से हट कर पेट पर, फ़िर नीचे जान्धों में फिरने लगा !”चड्डी निकालो ना !” बिरजू का लंड ऊपर से ही पकड़ के जुबैदा बोली ! “निकालता हूँ ना, इसके निकाले बिना मजा कैसे आएगा?” ऐसा कह कर उसने अपनी चड्डी उतार दी और बिरजू पूरा नंगा हो गया,
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उसका लंड झूलने लगा.. जुबैदा ने उसे हाथ में लिया और उसे सहलाने लगी, जैसे उसे चुदाई की जल्दी हो ! बिरजू ने फिर उसके घाघरे का इजारबन्द खींच दिया दी और उसे पूरी नंगी किया जुबैदा को नंगी देख कर,
गोरी गोरी जांघे, मांसल शरीर देख कर मेरा तो अंग अंग मचल उठा.मेरा सिर गर्म हो गया… चड्डी में लंड फड़फड़ाने लगा ! बिरजू का हाथ जुबैदा की जान्धों में फिरने लगा.. उंगली से जुबैदा की चूत सहलाने लगा और जुबैदा उसका लंड हिलाने लगी,
उसके बाद बिरजू पलंग पर चढ़ा और जुबैदा की जांचें फैलाकर उसकी चूत चाटने लगा। “वाह, तुम ऐसा करते हो मुझे बहुत अच्छा लगता है… हाह…. हाँ… चूसो मेरी चूत चूसो…!” आँख बंद करके जुबैदा कहने लगी,जुबैदा कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थी,
थोड़ी देर बाद बिरजू ने अपना खड़ा लंड उसकी चूत पर रखा और अंदर घुसेड़ने लगा, घुसेड़ कर अपना लंड अंदर बाहर करने लगा, उसकी रफ्तार जैसे बढ़ने लगी वैसे जुबैदा की आवाज भी जोर जोर से बाहर निकलने लगी,
बिरजू ने उसके स्तन दोनों हाथो में पकड़ कर धक्के देने चालू किये, जुबैदा बीच बीच में बोलती थी-कल रात को तुम्हारी बहुत याद आ रही थी, तुम चुदाई बहुत अच्छी करते हो ! सामने का यह नजारा देख के मेरी तो हालत बहुत खराब हो रही थी, मैंने तो देखते देखते ही मुठ मारना चालू किया,
कुछ देर बाद बिरजू ने कस कर उसको पकड़ा और अपना वीर्य छोड़ दिया… और जुबैदा के ऊपर वैसे ही पड़ा रहा ! मेरा भी मुठ मारना खत्म हो गया और मैं हमारे खेत के घर में जाकर पलंग पर पड़ गया। रह रह कर मेरी आँखों के सामने जुबैदा की चुदाई का वो दृश्य आने लगा था,
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बहुत ही बेचैन सा महसूस करने लगा था… उस रात को मुझे नींद ही नहीं आई.. सारी रात जुबैदा की चुदाई ही नजर के सामने आ रही थी ! रात भर जुबैदा की चुदाई का नजारा नजर के सामने लाकर अपना लंड हिलाने लगा ! उस दिन से तो मेरे दिल में जुबैदा के प्रति कुछ अलग ही एहसास होने लगा,
मुझे सिर्फ उसके बड़े बड़े स्तन और गोरी गोरी जांघे दिखने लगी, मुझे उसे पाने की,उसकी चुदाई करने इच्छा हो रही थी ! एक दिन मैं खेत के घर में कपड़े निकाल कर चारपाई पर आराम से बैठा जुबैदा की चुदाई के बारे में सोच रहा था,
उस दिन का वो दृश्य मेरे सामने आ रहा था ! जुबैदा का नंगा शरीर नजर के सामने आने लगा, मैंने चड्डी में हाथ डाल के अपने लंड को सहलाना चालू किया,इसी बीच किसी ने दरवाजे पर थपथपाया ,मैंने सहज जाकर दरवाजा खोल दिया,
देखता हूँ तो क्या सामने जुबैदा हाथ में बरतन लिए खड़ी थी,”किसना, चाय के लिए थोड़ा दूध मिलेगा?” ऐसा कहते उसका ध्यान मेरे कच्छे पे चला गया। उसकी नजर मेरे कच्छे पे ही टिकी हुई थी,मैं वहाँ से कपड़े पहनने वाला था कि उसने पूछा- किसना,
और कौन है अंदर? मैंने कहा- कोई नहीं है, मैं अकेला ही हूँ !”तो फिर ये तुम्हारा खड़ा कैसे हो गया है?” मेरे कच्छे की ओर हाथ करके वह बोली।” इसे खड़ा रहने के लिये किसी की क्या जरुरत है.. किसी का खयाल मन में आया तो अपने आप खड़ा हो जाता है!” मैंने हंस कर कहा,
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“बहुत ही हलकट हो तुम किसना !” वो मेरे पास आ गई और लंड हाथ में लेकर बोली- किसना, अरे बहुत बड़ा हो गया है तुम्हारा ये? उसने बरतन नीचे रखा और झटसे मेरी चड्डी नीचे खींच दी, मेरा 8 इंच का लंड उसके सामने सलामी ठोकने लगा,”किसना, मुझे तुम्हारा ये केला बहुत अच्छा लगा,
मेरी जिंदगी में भी मैंने ऐसा बड़ा लंड देखा नहीं है,”ऐसा कहके उसने मेरे लंड की पप्पी ले ली,तो मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया और उसके चुंबन लेने लगा,जुबैदा मेरे लंड को हाथ में लिये सहला रही थी.जुबैदा बोली,
किसना, मेरी चाय गई भाड़ में, तुम ऐसे ही खड़े रहो मैं चाय का बरतन चूल्हे से नीचे रख के आती हूँ !” तब तक मैंने मेरी चड्डी निकाल दी और नंगा खड़ा रहा, सोचने लगा अब मैं जुबैदा की मस्त चुदाई करूँगा, मैं खुशी के मारे चूर चूर हो रहा था,
जुबैदा मुझे आसानी से मिल गई थी, आज जुबैदा के शरीर का भरपूर आनन्द उठाऊँगा, ऐसा सोच रहा था कि तब जुबैदा फिर से आई और उसने कड़ी लगा दी ! जल्दी जल्दी में उसने अपनी साड़ी निकाल फेंकी और ब्लाउज के बटन खोले, पेटिकोट निकाला, कच्छी भी,
निकाल फेंकी और मेरे लंड के पास आकर बैठ गई ! हाथ से सहलाते हुए उसने मेरा लंड चाटना चालू किया,मुझे बहुत अच्छा लग रहा था ! मेरा पूरा ध्यान उसके नंगे बदन पर था ! मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ा और चूमने लगा,
फ़िर उसकी पीठ पर से हाथ फिराते हुए नीचे जाकर उसके गुद्देदार नितम्बों को दबाने लगा, जुबैदा के नितंब तो बहुत ही मखमली थे,उसके बाद जुबैदा पलंग के ऊपर हाथ रखकर झुकी और मेरा लंड हाथ में लेकर अपने नितंब पर रगड़कर अपने चूत पे टिका दिया और बोली- किसना,
जल्दी से धक्का मार कर अपना लंड मेरी चूत में घुसा दे,! मैंने धीरे धीरे उसकी चूत में लंड डालना शुरू किया, लंड अंदर जाते समय मुझे बहुत ही मजा आ रहा था ! जैसे ही आगे पीछे करके चुदाई चालू की, मुझे और भी अच्छा लगने लगा,
उसके मोटे मोटे स्तन हाथ में लेकर दबाते हुए मैं उसे चोदने लगा ! उसके बाद वो पलंग पर लेट गई और अपनी जांघे फैलाकर मुझे अपना लंड चूत में डालने को कहा ! उसकी चूत देख कर मेरा लंड और फड़फड़ाने लगा, झट से मैंने उसकी चूत में लंड डाला और उसे तेज रफ्तार से चोदना शुरू किया,
जुबैदा खुशी और आनन्द के मारे चीख रही थी, वहाँ खेतों के बीच में उसकी सीत्कारें सुनने वाला कोई नहीं था। मेरा उत्साह और बढ़ने लगा ! लगभग 10 मिनट तक उसे चोदा और मेरा वीर्य उसकी चूत में भर गया ! उस दिन से आज तक जुबैदा मेरे से ही चुदाई करवाने आती है,
उसे मेरा लंड बहुत पसंद है ! वो हमेशा कहती है किसना तुम्हारे ही लंड से चुदाई करने में मुझे मजा आता है ! तो क्या ! जब भी समय मिलता है तो जुबैदा की मस्त चुदाई चालू कर देता हूं.. कहानी को अंत तक पढ़ने वालों का धन्यवाद…
Note ये कहानी सत्या घटना है केवल नाम और स्थान बदले हुए हैं..