हेलो दोस्तो, मैं राहुल आ गया हूं आपके लिए मेरी और कविता मौसी की चुदाई की कहानी को लेके,मौसी के बारे में बताऊ तो उनका फिगर 34-30-38 है,ये बात है तब कि जब मैं मेरी मां और मौसी तीनो सीहोर जा रहे थे,अचानक प्लान बना, तो रिजर्वेशन सिर्फ 2 सीट का मिला, वो भी टीसी से बात करके,
तो मैंने एक सीट पर माँ को आराम करने को बोल दिया, और एक सीट पर मैं और मौसी हो गई,मेरा और मौसी का चक्कर पहले से चल रहा था, तो हमको तो मौका चाहिए था, फिर ट्रेन चलने लगी मौसी ने मल्टी कलर प्रिंटेड साड़ी पहनी थी, और रेडीमेड ब्लाउज इलास्टिक वाला,उसके अंदर बैंगनी रंग की ब्रा पहनी हुई थी,
अब हमने एक चादर ओढ़ ली,हमारी ट्रेन रात में 12 बजे नरसिंहपुर से निकली थी, फिर जैसी ही ट्रेन गाडरवारा क्रॉस हुई, तो मैंने पहले देखा माँ सो गई थी या नहीं वो तो सो चुकी थी,फिर मैंने चादर को अपने और मौसी के ऊपर ढक लिया, और धीरे से अपना काम, मतलब उनके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया,
आप सभी मेरी कहानी Fantasystories.in पर पढ़ रहे हैं, यहां पर आप को रिश्तों में चुदाई, दोस्त की हॉट मॉम की चुदाई,मेरी हॉट चाची,लेस्बियन सेक्स स्टोरी, देसी गांव की सेक्स स्टोरी,थ्रीसम सेक्स स्टोरी,देवरानी जेठानी का प्यार,ससुर बहू का गुप्त रिश्ता पढ़ सकते है,
मैंने सफर के कारण एक लोअर डाल रखा था, जिसे दिक्कत ना हो मौसी अपने हाथ को मेरे निचले हिस्से में ले जाके मेरे लंड को सहलाने लगी,साथ में ध्यान रख रहे थे, कोई देख न ले,लगभाग सब सो चुके थे, पर फिर भी सुरक्षा के लिए ध्यान रख रहे थे फिर धीरे से थोड़ी देर बाद मौसी मेरे लंड के पास अपना मुँह लेके आई, मेरे लंड को चूस कर मुझे ब्लोजॉब देने लगी,
मेरे ऊपर नियंत्रण नहीं हो रहा था,मैं उनके बाल पकड़ कर उनके मुँह को तेजी से चोदने लगा,मतलब पकड़ कर लंड थोड़ी देर मुँह में रखना, फिर छोटा लगाना, और फिर रुकना, ऐसे में थोड़ी देर में उनकी सांस फूलने लगी, वो चिकोटी काट-ते हुए चादर से सिर बाहर करके मुझे गुस्से में देखने लगी, और टॉयलेट की साइड चली गई,
मैं भी अपने नीचे ऊपर जाकर उनके पीछे गया और टॉयलेट के अंदर जाके दरवाजे को लॉक किया,फिर एक शानदार चुम्बन के साथ शुरुआत हो गई, हलाकि गंध के कारण थोड़ा सा मुश्किल लग रहा था ज्यादा देर वहां रुकना,फिर मैंने एक तरकीब सोची क्यों न टीसी से व्यवस्था करके एसी कोच में पता करू,
या गार्ड वाले डिब्बे में पर उसके लिए मौसी को मनाना पड़ेगा,तो मैंने मौसी को किस करते हुए पूछा-
मैं: टीसी या गार्ड से बात करे?
वो बोली: पर मैं कुछ नहीं दूंगी.
तो मैंने बोला: यार देखो, मेरा तो ले ही रही हो,टीसी को देने में क्या दिक्कत?
काफ़ी मुश्किल से वो तैयार हुई,
फिर मैं निकल गया टीसी को ढूंढने, जैसे-तैसे मुझे टीसी मिला, तो मैंने उससे पूछा साफ-साफ।
पहले तो उसने पूछा: मुझे क्या मिलेगा?
तो मैंने बोला: तुम्हें भी चूत मिलेगी बढ़िया.
वो बोला: ठीक है, चेक करता हूं एसी में।
1 एसी कूप वाले केबिन का जुगाड़ हुआ, पर दिक्कत ये थी वहां 3 बंदे और थे, और टीसी मिला के 4. और मुझे मिला के 5.
मैने बोला: ठीक है.
मैं जल्दी से गया, और मौसी को लेके कूप में अंदर गया।
जैसा ही अंदर गया, मौसी मना करने लगी।
वो बोली: मैं कोई छीनार नहीं हूं, जो तुम सब का मेरी में डलवाओगे और इनके पास सुरक्षा भी नहीं है।
तो टीसी बोला: मैडम आपके लिए तो सुरक्षा का इंतजाम हम कर ही लेंगे फ़िर टीसी ने अपने बैग में से ड्यूरेक्स का फैमिली पैक निकाला, जिसमें 6 पीस बचे हुए थे,
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फिर जैसे-तैसे करके मौसी को मनाया। उसके बाद टीसी मौसी के पास गया और उनको किस करने लगा। टीसी की हाइट लगभग 6 फीट थी। अच्छा हट्टा-कट्टा था,उसने मौसी की साड़ी का पल्लू निकाल दिया और मौसी की गांड को मसलने लगा। बाकी हम चार अपने-अपने कपड़े उतारकर मुठ मार रहे थे टीसी और मौसी को देख रहे थे,
फ़िर टीसी ने मौसी की साड़ी और ब्लाउज़ निकाल कर फेंक दिया अब मौसी पैंटी और ब्रा में थी,फ़िर टीसी ने अपनी पेंट उतार कर लंड को आज़ाद करते हुए मौसी को इशारा किया चल चूज़ इसे। तो मौसी घुटने के बाल बैठ कर उसका लंड चुनने लगी,उसका लंड 4.5 इंच का था, तो मौसी आराम से चूस रही थी उसका लंड,
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फिर थोड़ी बाद टीसी ने मौसी की चूत चाटनी चालू की और दूसरे वाले लड़के ने अपना 5 इंच का लंड मौसी के मुँह में दे दिया,एक मौसी के दूध से खेलने लगा, फिर जैसे टीसी चुत चाट कर फ्री हुआ, उसने मौसी की टांगों को कंधे पर रख कर, प्रोटेक्शन लगा कर, एक ही बार में लंड घुसेड़ दिया,
हालांकी लंड का साइज छोटा था, तो मौसी को असर नहीं हुआ ज्यादा,बस एक्स्ट्रा डॉटेड होने के कारण थोड़ा रगड़ रहा था। टीसी अपनी फुल स्पीड से मौसी की चूत में लंड डाले जा रहा था फिर जो लड़का मौसी के मुँह में लंड डाले हुए था,वो लंड बाहर निकाल कर टीसी को इशारा किया,
दस मिनट बाद टीसी ने मौसी को अपने ऊपर आने को बोला, और मौसी शीर्ष स्थान पर आ गई,फिर पीछे से दूसरे लड़के ने मौसी की गांड में लंड डाल दिया,मौसी तैयर नहीं थी, पर अब कुछ कर भी नहीं सकती थी,फिर 15 मिनट की चुदाई के बाद टीसी का झड़ने गया और मौसी का भी पर उस लड़के का अभी बाकी था।
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उसने लंड गांड से निकाल कर मौसी की चूत में डाल दिया प्रोटेक्शन लगा कर अब मौसी को चूत में तो एक लंड था ही,फ़िर दूसरे लड़के का नंबर था,टीसी अपनी पैंट पहन कर निकल गया बाहर, और मुझे 500 रुपए भी दे दिए गए, फ़िर दूसरे लड़के ने गांड में लंड बिना सुरक्षा के डाला,
उसका साइज 5.5 इंच था, डोनो साइड से तोड़म-तोड़ चुदाई चल रही थी लगभाग,30 मिनट की चुदाई के बाद दोनों लड़के शांत हुए,अब मौसी थोड़ा रुकने को बोली, तीसरे नंबर का लड़का अभी कहां रुकने वाला था,उसने मौसी को पहले लंड चुनने को बोला। फिर 5 मिनट की चुसाई के बाद उसने मौसी को घोड़ी बनाया,
और लंड पीछे से गांड में घुसा दिया, वो उनके स्तनों को ज़ोर से दबा कर मोटे तौर पर सेक्स कर रहा था,मौसी की आंखों से आंसू आने लगे,उसका लंड मेरे लंड के बराबर ही था, पर थोड़ा पतला था,फिर एक लड़का आया और मौसी के मुँह में लंड डाल कर चुसवाने लगा,
अब मौसी की आवाज भी बाहर नहीं निकल पा रही थी, 25 मिनट बाद उसने मौसी की गांड में से लंड निकाला, आगे आके मौसी के मुंह में लंड डाला,वो ज़ोर-ज़ोर से मुँह चोदने लगा,फिर 5 मिनट बाद पूरा माल मौसी के मुँह में ही छोड़ दिया,
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अब मौसी निधाल होके वहीं सीट पर लेट गई,मैं मौसी के पास गया और उनको किस करते हुए, उनके पैरों को मोड़कर, उनके कंधों के पास ले गया,फिर लंड को उनकी चूत में डाल कर ज़ोर से चुदाई करने लगा,अब मौसी से दर्द सहन नहीं हो रहा था,
पर हम कहां सुनने वाले थे,फिर मैं 15 मिनट बाद मौसी के ऊपर से उठा, और उनको अपने ऊपर आने को बोला तो मौसी मेरे ऊपर आ कर, लंड पर बैठ कर ऊपर-नीचे होने लगी,फिर जो लड़के थे, उनमें से एक आया और मौसी की गांड में लंड फंसा कर गांड मारने लगा,मौसी से सहा नहीं जा रहा था,
फिर 10 मिनट बाद मैं अलग हुआ,फिर उनमें से दूसरा लड़का मौसी की चूत में लंड डाल दिया, बाद में उन्हें बताया कि उन सब ने गोली खाई थी, फिर मैंने उनसे पूछा कि कुछ और है क्या? तो उन्ने ओल्ड मंक का एक पेग ऑफर किया, मैने 4 पैग लगाये.
मौसी की हालत खराब हो चुकी थी और चूत और गांड सूज गई थी,
मैंने मौसी को उल्टा लिटाया और उनकी गांड में लंड डाल कर चुदाई करने लगा,30 मिनट बाद मेरा जब निकला, तो मैंने अपने कपड़े पहने और मौसी ने अपने,फिर हम आके अपनी सीट पर सो गए, ट्रेन इटारसी पहुंच चुकी थी,
बस कुछ स्टेशन दूर हमारा गंतव्य था,मैं सोया नहीं, पर मौसी सो गई दर्द के कारण,फिर सुबह 4 बजे हम सीहोर स्टेशन उतर कर अपनी मंजिल की ओर चलेंगे, कहानी को अंत तक पढ़ने वालों का धन्यवाद…
Note ये कहानी सत्या घटना है केवल नाम और स्थान बदले हुए हैं…