सभी को मेरा नमस्कार,मैं अंजु मुंबई की रहने वाली हूं आज मैं आप को अपने जीवन की एक सच्ची घटना बताना चाहती हूं, मेरी शादी के बाद मैं और मेरे पति एक मशहूर होटल में हनीमून के लिए गए,
पहले दिन अच्छे से चुदाई होने के बाद मेरे पति को दूसरे दिन कॉल आ गया तो उनको अचानक जाना पड़ा, काम बहुत जरूरी था वरना हनीमून छोड़ कर कौन जाता है,मेरी चूत अब लन्ड की प्यासी हो गईं थी, हमारे रूम में सर्विस देने वाला वेटर बहुत हैंडसम था,और वो मुझे ऐसे देखता जैसे मौका मिले तो चोद दे,
उसका नाम मोहन था, मोहन को मैं अब लाइन देने लगी उसको भी मेरे इशारे समझ आने लगे,अब मैं उसको अपने रूम बार बार बुलाने लगी,
रविवार की सुबह मोहन और मैं पिछली रात की बातों से शुरू होते है, जिसमें कई बार हुई चुदाई शामिल थी,
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जब मैं पति के साथ थी मेज पर पिछली रात की चुदाई के बारे में बात कर रहे थे,मोहन ने मुझ से पूछा कि मेरे पति के साथ जो किया उसके बारे में मुझे कैसा महसूस हुआ, और जानना चाहता था कि उसे क्या पसंद आया और क्या नहीं,
उसने उन सभी कामों की ओर इशारा किया और पूछा कि क्या उसने पहले भी ऐसा कुछ किया है और क्या वह ऐसा और भी करना चाहेगी और ऐसी ही अन्य चीज़ें जो उसने उसे चरमसुख पहुँचाने के लिए नहीं की थीं, जब तक कि उसने “दया” नहीं माँगी,
ये सभी बातों के दौरान मोहन लगातार अपने लन्ड को सहला रहा था
उसकी गर्मजोशी भरी बातें मुझे भी गिला करने लगी,लेकिन शुरुआत में उसे हैरानी और डर ज़रूर लग रहा था,फिर भी उसने इसका पूरा आनंद लिया और मैं भी सेक्स के बारे में नई बातें सीखना चाहती थी,उसने उसे बताया कि उसका पति यहां नहीं है,
और उसे अब एहसास हो गया है कि मैं अब पूरी तरह से ओपन हो गई हूं, तो मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी कि जब मोहन मुझे इस्तेमाल करे मेरे बड़े बड़े बूब्स को दबाए और उसे अपने दांतों से काटे,मेरे मन में यही चल रहा था के मोहन चर्म सुख देने के लिए क्या क्या करेगा,
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हम कई देर से ऐसे ही बाते करते रहे ,मोहन भी अपनी वासना के चर्म पर था,फिर मोहन घुटनों से चल कर मेरे पास आता ,उसने इशारा किया और मैंने अपनी टांगें खोल दी,वो मेरी चूत को पैंटी के ऊपर चाटने लगा, मेरी चूत पहले से गीली हो गई थी,
मोहन ने मुझे एक नज़र देखा और चूत का रस पीने लगा, मेरी चूत की दरार में उसकी जुबान अच्छे तरह से फिट हो रही थी,जिस तरह से वो अपनी जुबान को ऊपर नीचे कर रहा था,शायद ही मेरे पति ने ऐसा किया था,मुझे से जितना हो सका उतनी टांगों को फैला दिया था,
उसकी जीभ मेरे चूत को कुरेद रही थी,फिर उसने मेरी पैंटी निकाल फेंकी,अब मेरी चूत उसको नजर आई जिस पर एक भी बाल नहीं था,वो अपनी जुबान को पूरी बाहर निकाल कर चूत चाट रहा था, मैं ओह माह हाहाहाहाहा हाहाहाहाहाहाजाह ओहां ओहां करने लगी,
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मोहन मेरी सिसकियां सुनकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया, मेरी चूत में उसकी जुबान को डाल कर अंदर बाहर करने लगा, बिना रुके वो कैसे कर पा रहा था मैं समझ नहीं पर रही थी, लेकिन मुझे मज़ा बहुत आ रहा था,
फिर उसने मेरे कपड़े निकाल दिए और मेरे बूब्स को चूसने लगा,कभी मेरे निप्पल को काटता तो कभी अपनी जुबान से चाटता,दोनो बूब्स को बारी बारी दबा रहा था,मेरा बदन पूरी तरह गर्म हो चुका था,मेरी चूत को बस लन्ड चाहिए था,
फिर मोहन उसका कड़क लन्ड निकाला और मेरे सामने रख दिया,उसका लन्ड देख कर मैं खुद को रोक नहीं पाई और झट से अपने मुंह में डाल चूसने लगी,उसके लन्ड का सुपारा बहुत बड़ा था,इतना बड़ा के मेरी आधी जुबान उसी पर थी,
मैं पच पच पच खो खो कर रही थी लेकिन मज़ा भी बहुत आ रहा था,मोहन ने मुझे नीचे लिटाया और दोनो टांगों को फैला कर लन्ड मेरी चूत में दाखिल किया,इतना मोटा लन्ड अंदर जाने मेरी तो सांसे अटक गई थी,
लेकिन फिर जब मोहन ने अपने लन्ड को चूत में रगड़ना शुरू किया तो चर्म सुख क्या होता उस वक्त पता चला,मेरी दोनो टांगे फैली हुई थी और ऊपर उठाई हुई थी जिस कारण उसका पूरा लन्ड मेरे अंदर समा जा रहा था, मैं आहा ऊंहा अह अह ऊंह ऊंह ऊंह कर रही थीं,
चुदाई के साथ साथ मोहन मेरे बदन को हर हिस्से को सहला रहा था जिस वजह से मेरी वासना लगातार बढ़ती रही,उसने एक बार भी नहीं हुआ ओर मैं इस दौरान दो बार झड़ चुकी थी,फिर कुछ देर चुदाई के बाद मोहन भी झड़ गया,
उस दिन मोहन ने मुझे तीन बार चोदा, मैं उस होटल में अगले ८ रही जिसमें से २ बार मेरे पति और बाकी के दिन मोहन के साथ चुदाई का मज़ा लिया ,मेरे पति वापिस आए लेकिन बस दिखावे के लिए. कहानी को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद…
Note ये कहानी सत्या घटना है केवल नाम और स्थान बदले हुए हैं…