दोस्तो, लड़की को सिड्यूस करने में बहुत मजा आता है, बस उसको सिड्यूस करने का तरीका ठीक होना चाहि,मैंने अपने घर की कामवाली को ऐसे ही सिड्यूस करके खूब अच्छे से चोदा था,
आज मैं आप सबको वो ही कहानी सुनने जा रहा हूँ,मेरा नाम विजय है और मेरे घर में काफी सारी बेकार नौकरानियों के बाद एक दिन एक बहुत ही सुंदर नौकरानी काम करने आई थी,
वो बहुत ही खुबसूरत और सुंदर होने के साथ-साथ वो सेक्सी भी लग रही थी,उसकी हाइट मीडियम थी, उसका जिस्म सुडोल था। उसका फिगर 32-26-34 का होगा, वो शादीशुदा भी थी,
नौकरानी को देख कर मुझे उसके पति से मन ही मन जलन होने लग गई।,उसका पति बहुत ही किस्मत वाला लग रहा था, क्योंकि उसकी पत्नी बहुत सेक्सी थी,मुझे पूरा यकीन था, कि वो साला सेक्सी औरत को खूब जम कर चोदता था,
उसके बूब्स ऐसे थे कि से देखते ही उसको दबाने का मन होता था, वो अपने बड़े बड़े बूब्स को साड़ी से ढकने की कोशिश करती थी। पर उसके बूब्स कहीं न कहीं से बाहर आ कर दिखायी देने लगते थे,
वो बहुत कोशिश करने के बाद भी वो अपने चूचियों के बीच में छुपी नहीं थी,जब मैं उसकी दरार को तिरछी नज़र से देखा तो मुझे पता चला, कि उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी,शायद वो हो सकता था,
कि उसे लगता हो कि ब्रा पर बेकार ही पैसे क्यों खर्च किए जाएं, जब वो ठुमकती हुई चलती थी, तो उसके गांड़ बहुत मस्त तारिके से हिलते और मानो ये कह रहे हो,कि आयो मुझे पकड़ो और जी भर कर दबाओ,
वो अपनी पतली सी साड़ी को जब वो अपनी चूत के पास से पकड़कर संभाल कर चलती थी, तो मेरा मन करता था कि काश मैं उसकी चूत को स्पर्श कर लूं, काश मैं उसके स्तनों को दबा सकूँ, काश मैं उसके स्तनों का रस पी सकूँ,
साथ-साथ ही मेरा बहुत दिल करता था, कि मैं इसकी चूत को चूसते हुए जन्नत का मजा ले सकता हूँ,और इसकी चूत में अपना लंड डाल कर उसको अच्छे से चोद सकूँ,मेरा लंड भी साला मानता नहीं था,
वो उसकी चूत में घुसे के लिए बेकार रहता था,पर मैं सोचता था, कि मेरा ये सपना भला कैसे पूरा होगा,क्योंकि वो मेरी तरफ दिखती भी नहीं थी, वो बस अपने काम से मतलब रखती थी और काम करने के बाद वो ठुमकती हुई वापस चली जाती थी,
मैंने भी कभी उसे एहसास नहीं होने दिया, कि मैंने उसकी चूत पर नज़र रखी हुई है,पर मैं किसी भी तरह से उसकी चूत को चोदना चाहता था, और सिर्फ उसे किसी ना किसी तरह से गर्म करके ही चोदना था,
पर ये सब धीरे-धीरे भी करना था, क्योंकि जल्दबाजी में प्लान फैल हो सकता था,कुछ दिन के बाद मैंने उसके साथ बहाने से बातें करना शुरू कर दिया,
उसका नाम संविका था,मैंने एक दिन उसे बनाने के लिए कह दिया,जब उसने मुझे अपने नरम हाथों से चाय पकड़ाई तो मेरा लंड झट से उछल गया,
मैं चाय पिते हुए बोला – संविका तुम चाय बहुत अच्छी बनाती हो,
सात्विक – हां, बाबू जी चाये तो मैं बना ही लेती हूं.
उस दिन के बाद मैं अब रोज संविका से चाय बनवाने लग गया, फिर एक दिन जब मैं ऑफिस जा रहा था,तो मैंने संविका को अपनी शर्ट प्रेस करने को दे दी।
मैं- तुम तो प्रेस भी काफी अच्छी कर लेती हो,
इस तरह जब मेरी बीवी मेरी आस पास नहीं होती थी, तो मुख्य संविका से बातें करनी शुरू कर देता था।
मैं- संविका तुम्हारा पति क्या करता है।
संविका- मेरा आदमी एक मील में काम करता है।
मैं- कितने घंटे की नौकरी है उसकी?
संविका- 10-12 घंटे की नौकरी है, और काफी बार तो वो रात की भी ड्यूटी करते है।
मैं-तुम्हारे पास कितने बजे आता हैं?
वो शर्मते हुए बोली- अभी तो मेरे पास एक 2 साल की लड़की है।
मैं – तो तुम क्या उसके घर में अकेली छोड़ कर काम पर आती हो?
संविका – नहीं, घर में मेरी बूढ़ी सास है जो उसकी देख भाल करती है।
मैं- तुम कितने घर में काम करती हो?
संविका – एक आप और उसके अलावा एक घर में काम करती हूं बस.
मैं- तो क्या तुम दोनों का गुजारा हो जाता है?
संविका- साहब हो तो जाता है, पर बहुत मुश्किल से काम चल पता है,क्योंकि मेरा आदमी शराब पर बहुत पैसा बर्बाद करता है।
अब मेरे काम की बात यहां से शुरू हो गई थी,
मैं बोला – ठीक है, कोई बात नहीं अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकता हूं तो बताओ मुझे।
संविका ने मुझे अब अजीब सी नजरों से देखा और वो बोली – क्या मतलब है आपका?
मैं- अरे मेरा मतलब है कि तुम अपने आदमी को मेरे पास ले आओ, मैं उसको समझ दूंगा,
संविका- ठीक है साहब.
ये कहते हुए उसने लंबी सांस ली, इस तरह हम दोनों के बीच बातों का सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा, फिर धीरे धीरे बातों के सहारे मैंने संविका से उसकी झिझक कम करने की कोशिश की,
एक दिन मैंने शरारती शब्दों में कहा – तुम्हारा आदमी तो पागल ही हो गया है, इतनी खूबसूरत बीवी के होते हुए भी शराब पिता है।
दोस्तों मैं बता दूं कि औरतें काफी समझदार होती हैं, संविका मेरा इशारा शायद अब समझ चुकी थी,
पर उसने मुझे ऐसे इग्नोर किया कि मुझे जरा भी एहसास नहीं हुआ,पर अब मुझे थोड़े हिंट मिल गए थे, कि अब ये तैयार हो सकती है,अगर मुझे इसे दबाने का मौका मिले तो शायद ये चुद भी सकती है।
दोस्तो और वो कहते हैं ना, भगवान के घर में देर है पर अंधेर नहीं है,एक दिन मेरे पास भी मोका आ गया, संडे का दिन था मेरी बीवी एक दिन पहले ही अपने मायके चली गई थी,
वो हमारे बच्चे भी साथ में ले गई थी, मेरी पत्नी ने मुझे कहा था कि अगर संविका आए तो उसके घर के काम अच्छे से करवा लूं। तो दोस्तो सुबह से ही मेरे मन में लड्डू फूटने लग गया था,मेरा लंड उछलने लग गया था,
मैं बार-बार संविका के बारे में सोच रहा था, कुछ देर बाद संविका घर में आई और उसने दरवाजा बंद करके घर पर काम शुरू कर दिया,इतने दिनों की बात चित के बाद हम दोनो आपस में काफी घुल मिल गये थे,
संविका को मेरे ऊपर पूरा भरोसा भी हो गया था, क्योंकि शायद उसने भी बिना मेरे काहे ही दरवाजा बंद कर दिया था,मैंने सोचा कि अगर आज मैंने पहले काम नहीं किया तो फिर कभी मेरे हाथ नहीं आएंगे, और बात मेरे हाथ से निकल जाएगी,
फिर मैंने सोचा कि मैं पहले करूं तो क्या करूं? फिर मेरे दिल में एक ख्याल आया कि अगर मैं इस पैसे की बात कर ही लेता हूं।
मैं- संविका, अगर तुम्हें पैसे की जरूरत हो तो मुझे जरूर बता देना।
संविका- साहब, क्या आप मेरी सैलरी में कटौती करने वाले हैं?
मैं- अरे नहीं पगली, अगर तुझे फालतू पैसे की ज़रूरत है तो मुझे बता देना,मैं तुम्हारी मदद के लिए तैयार हूं, और इसके बारे में मैं अपनी पत्नी से भी कुछ नहीं कहूंगा,
पर तुम्हें भी वादा करना होगा, क्या तुम को मेरी पत्नी को इसके बारे में कुछ नहीं पता होगा?इतना कह कर अब मैं संविका के जवाब का इंतजार कर रहा था,वो बोली- भला मैं क्यों बताने लगी आपकी पत्नी को,
उसके मुँह से ये सुन कर मैं खुश हो गया, क्योंकि मेरा तीर एक दम सही निशाने पर जा कर लगा था।
मैं- बस अब तुम खुश हो जाओ।
संविका- हां साहब, इसे मुझे काफी आराम मिलेगा।
मैं- संविका देखो मैंने अब तुम्हें खुशी दे दी है,क्या अब तुम्हारा फर्ज नहीं बनता कि तुम मुझे भी खुशी दे दो, पर उसके लिए तुम्हें अपना मुंह बंद रखना होगा।
ये कहते ही मैंने उसके हाथ में 5000 रुपए थमा दिए,और वो बोली – मुझे क्या करना होगा।
मैं – पहले तुम अपनी आंखें बंद कर लो, अगर तुमने आंखें खोली तो तुम शर्त हार जाओगे।
मेरे कहते ही संविका ने अपनी आंखें बंद कर ली, मैंने देखा कि उसका गाल एक दम लाल हो गया है। और उसके होंठ कांप रहे थे, और फिर मैं बोला – जब तक मैं ना कहूं तब तक तुमने अपनी आंखें नहीं खोलनी हैं,
संविका- ठीक हैं साहब उसके बाद मैंने संविका के गालों पर चूमा और वो डर गई, मैंने कहा डरो मत अगर तुम्हें ये नहीं अच्छा लगा तो मैं कुछ नहीं करूंगा,फिर उसको सांप सूंघ गया,
मैंने उसकी साड़ी को धीरे धीरे खोलना शुरू कर दिया, उसका बदन कांपने लगा, मैंने कहा घबराओ मत तुम्हें मज़ा आएगा, उसके बाद संविका ने कुछ नहीं किया,अब वो मेरा साथ देने लगी, मैंने उसके होठों को चंबा शुरू किया,उसके होठों को कामुकता से चाटते हुए चूम रहा था,
उसके ब्लाउज़ के बटन को खोल कर दोनों चूचियों को बाहर निकाल दिया, संविका ने ब्रा नहीं पहनी थी, उसके दोनो बूब्स को चूसने लगा,वो अह ऊंह ऊंह ऊंह ऊंह करने लगी, धीरे धीर मैने उसके सभी कपड़े उतार दिए,अब वो मेरे सामने बिना कपड़े खड़ी थी,
मैं उसकी चूत को मसलने लगा वो पूरी गीली हो चुकी थी, मैंनेसंविका को लेटने को बोला तो उसने खुद ही अपनी टांगें फैला दी,मेरा लन्ड पहले से ही खड़ा था,मैने सीधा उसकी चूत में डाल दिया,वो आहान आहा ऊंह ऊंह आहा करने लगी,कुछ देर चुदाई करने के बाद,
हम दोनों झड़ गए,फिर थोड़ी देर बाद मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया, फिर मैंने संविका बोला अब की बार अलग तरीके से करेंगे, मैंने पहले उसकी चूत को चाटा फिर उसको लन्ड चूसया,फिर जब भी मौका मिलता में मेरी नौकरानी की चुदाई करता.. कहानी को अंत तक पढ़ने वालों का धन्यवाद..
Note ये कहानी सत्या घटना है केवल नाम और स्थान बदले हुए हैं..