हेलो दोस्तों मेरा मनोज कुमार है और मैं बिहार के एक छोटे से गांव का रहने वाला हू,आज मैं आप को अपने जीवन की हुई पहली चुदाई के बारे में बताने जा रहा हू,
मैं हमेशा Fantasy Stories पढ़ा करता था जिसमे चाची की चुदाई मेरी पसंदीदा थी,अब मेरी भी Fantasy थी की मैं अपनी चाची की चुदाई करूं, माफ करना दोस्तो मैंने चाची के बारे में नही बताया,
मेरी चाची का नाम मेघना था बहुत हॉट बदन की मालकिन थी, फिगर कैसे बताऊं फूट बोल के बराबर तो नही लेकिन उससे कम भी नही इतनी बड़ी तो चूचियां थी,कमर इतनी की दोनो हाथो से नाम सकते हैं, और गांड की गोलाई इतनी के चाय का कप आसानी से रख सकते है,
इतना मस्त फिगर की बिना मुठ मारे नही रह सकते, चाची जब भी चलती थी गांड एक जैली की तरह हिलती थी,कई बार मन करता था के पकड़ कर चोद दूं लेकीन डर लगता था,
अगर किसी को बता दिया तो बहुत बदनामी होगी इस लिए चुप रह जाता था, हमारे नहान घर की सिर्फ चार दीवारी है, ऊपर से खुला हुआ है, चाची जब भी नहाने जाती मैं चुपके से घर की छत पर चढ़ कर उनके बदन को देखा करता था,
चाची अपने बड़े बड़े बूब्स के ऊपर साबुन लगाती उन्हे पकड़ कर मसलती ये सब देख कर मुझे बहुत मज़ा आता,हर रोज़ मैं यही सोचता काश चाची की एक मार मारने को मिल जाए,
एक दिन की बात है चाची ने मुझे बोला गेंहू की बोरी को बाजार ले जाने को मैं बोरी को उठा नही पा रहा था,मैने चाची को मदद करने के लिए बोला चाची ने बोरी को उठाने की कोशिश कर रही थी,
इसी बीच मेरा हाथ उनकी चूचियों के ऊपर लग गया चाची ने कुछ नही बोला शायद उनको पता नही चला,फिर मैंने धीरे से बोरी का का भार चाची की तरह कर दिया उसको संभालते हुऐ, चाची का पल्लू नीचे गिर,
उस समय चाची ने हरे रंग का ब्लाउज़ पहना था और अंदर काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी, मैं तो उनके बूब्स को देख कर लार टपकाने लगा, मन्न तो कर रहा था अभी दोनो बूब्स को मुंह में डाल कर सारा दूध पी लूं लेकीन खुद को किसी तरह संभाला,
तभी चाची ने मुझे देखा के मैं उनकी चूचियों को देख कर लार टपका रहा हूं मुझे डांटते हुए बोली तेरा ध्यान कहा बोरी उठा, मैं हड़बड़ाते हुए बोला हां चाची उठा रहा हूं,
उस दिन मुझे बहुत अच्छा लगा और दो बार चाची को सोच कर मुठ मारी फिर अगले दिन चाची मुझ से अच्छे बात नही कर रही थी, शायद उन्हे पता चल गया के मैं उन्हे किस नजर से देखता हूं,
अब मैं भी थोड़ा डरने लगा,फिर कुछ दिन ऐसे ही बीत गए, एक दिन दोपहर को चाची और चाचा आपस में झकडा कर रहे थे,
चाची: तुम से कुछ होता नही दो मिनट झड़ जाते हो और मैं बिस्तर पर तड़पती रहती हूं
चाचा: क्यों साली कितनी गर्मी आ गई है तेरी चूत में के मेरा लंड उसकी प्यास नही बुझा पा रहा
चाची:तुम्हारे लंड का इलाज कराओ अब ये ठंडा पड़ रहा है
ये सब बोल कर चाची बाहर आ गई और मुझे देख लिया, यहां क्या कर रहा कोई काम नही है क्या बोल कर चली गई,अब मैं समझ गया चाची तो कब से तरस रही है,अब तो खुश हो गया के चाची को चोदने के लिए ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ेगी,
कुछ दिन और ऐसे ही बीत गए,फिर एक दिन हमारे पड़ोस में शादी थी सभी गांव की सभी औरतें सजधज कर चाची की बुलाने आई किसी रसम के लिए तभी एक औरत बोली अरे तुमने तो पैरो में रंग नही लगाया, लगाने के बाद आ जाना हम सभी जा रही है,
चाची को बुरा लगा और वो सुखा रंग ढूंढने लगी, मैं लेटा हुआ सब कुछ देख रहा था, मैंने पूछा क्या हुआ चाची क्या ढूंढ रही हो कुछ मदद चाहिए, चाची बोली हां मुझे सुखा लाल रंग चाहिए, मैंने कहा ठीक है और अंदर जा कर मेरी मां की रंग की डीबी लाकर दे दी,
चाची मेरे सामने ही कुर्सी पर बैठ कर टांगो को उठा कर अपने पैरो में लगाने लगी,चाची ने जैसे टांगे उठाई थी, उनकी साड़ी नीचे हो गई थी और दोनो टांगो के बीच में उनकी काले रंग की पेंटी दिख रही थी,
वैसे तो चाची को कई बार मैने नहाते हुए देखा है लेकिन आज इतने पास से देख कर मेरी सांसे गरम हो गई मेरा लंड भी पेंट के अंदर तनने लगा,चाची बेसुध टांगो को बदलती दाई से बाई और बाई से दाई ओर,अब मुझ से बर्दाशत नही हो रहा था,
घर में भी कोई नहीं था, मैंने सोचा जो होगा देखा जाएगा, मैंने तो पहले घर के दरवाज़े को बंद कर दिया, चाची को अभी भी पता नही चला के मैं कब उनके बगल में अपने लंड को खड़ा कर के खड़ा हूं,
मेरा लंड 8 इंच है और इतना बड़ा लंड जब चाची ने देखा उनकी आंखे चमक उठी,वो देख कर बहुत धीमी आवाज में बोली ये सब क्या है, मैं तेरी चाची हूं किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा,
मैंने बोला आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो,बहुत दिनों से बोलना चाहता था ले डर लगता था,इतना बोल कर लंड को पेंट से बाहर निकल कर सहलाने लगा, चाची की आंखों में मुझे उनके अंदर की आग दिखाई दे रही थी, मनोज ये सब गलत है,
ये सभी शब्द चाची बोल रही थी लेकिन उनके हावभाव मेल नही खा रहे थे, मैंने लंड को सहलाते हुए चाची के बूब्स की तरफ अपना हाथ बढ़ाया और चाची ने पल्लू हटा दिया,मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया, एक हाथ से उनके बूब्स को मसलने लगा और दूसरे से हाथ से लंड को सेहला रहा था,अब चाची ने मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रखा,
और लंड को सहलाने लगी, चाची ने ब्लाउज़ के बटन खोल दिए, और बोलने लगी आओ मनोज मेरी प्यास बुझा दो, दोनो बूब्स को मैं दबाने लगा क्या मस्त चूचियों थी और इतनी बड़ी बड़ी के हाथ में नही आ रही थी,
चाची के होठों को चूमने लगा और बोला आज से आप मेरी हो मैं आप को खुश रखुंगा, चाची मेरे होठों को दांतो से काट रही थी और साथ में अपनी जीभ को मेरे मुंह में डाल रही थी, मैंने भी चाची की जीभ से अपनी जीभ को मिला रहा था,
अब तक चाची का जिस्म बहुत गरम हो चुका था, मैंने कुर्सी के ऊपर ही चाची की टांगे फेला कर अपने लंड को चूत में घुसा दिया और अंदर बाहर करने लगा, अब चाची अन्हा आहा आह आहू उहू करने लगी,चाची को आज चरम सुख मिल रहा था,
कुछ देर बाद में झड़ गया, चाची ने मुझे गले लाया और बोलने लगी मुझे पता तू अभी भी मुझे चोदना चाहता है, और मैं भी वही चाहती हूं थोड़ा इंतजार कर मैं सही समय देख कर अति हूं , इतना बोल कर चाची चली गई मैं भी सोचने लगा अब रात कब होगी…
अब आप भी हमें अपनी कहानी भेज सकते हैं आप को पहचान को गुप्त रखा जायेगा..
Note: कहानी सत्या घटना है केवल नाम ओर स्थान बदले हुए हैं…desi adult stories