मेरा नाम फतिमाह है और मैं जम्मू की रहने वाली हूं, मेरे स्तनों का आकार 38 है और मेरी गांड का आकार 28 हैं,मेरे शरीर के अंगो की बनावट ऐसी के सब कुछ अपनी अपनी जगह पर हैं,
कहने का मतलब बूब्स जीतने होने चाहिए और गांड इतनी की उभरी हुई रहती है, ज़्यादातर में बुर्के में रहती हूं लेकिन फिर भी गांड की गोलाई साफ साफ नज़र आती हूं,अब कहानी पर आते है,
बात आज से दस साल पहले की है,तब मेरी उम्र 26 साल की थी, मैं भी अपनी जवानी के जोश में थी, हमारे घर के पास एक हकीम रहते थे सब उनको खान बाबा के नाम से जानते थे,
उस वक्त उनकी उम्र थी 32 साल,देखने में भी अच्छे थे उनके पास हर मर्ज की दवाई थी,वो मेरे अब्बू के बहुत अच्छे दोस्त थे,हर समय मेरे अब्बू उनकी दुकान पर बैठे रहते थे,वो कर रोज दवाई भी लेटे थे,
कई बार वो हमारे घर भी आते थे,एक बार की बात है अम्मी पड़ोस में गई हुई थी और अब्बू बाज़ार गए हुए थे, खान बाबा घर आए अब्बू को देखने साथ में दवाई देने,लेकिन में नहा रही थी,
पहली बार खान बाबा ने मुझे बिना बुर्के देखा उनकी आंखे खुली की खुली रह गई,मेरा गोरा बदन जो सूट मैंने पहना था वो बहुत पतला था उसमे से मेरे बदन का रोम रोम खान बाबा ने सलीके से देखा,
फिर जब मेरी नजर उन पर पड़ी तो वो बोले तुम्हारे अब्बू कहा है मैंने कहा शायद बाज़ार गए हुए हैं,आप बैठिए अभी वो आते होंगे,उनको बाहर बिठा कर मैं अन्दर चली गई लेकिन वो मुझे खिड़की से हवस भरी नजरों से देखे जा रहे थें,
पता नही क्यों मुझे भी अच्छा लग रहा था खान बाबा मुझे देख रहे थे और अपने लंड को सहला रहे थे,मेरे बदन में भी गरमाहट शुरू होने लगी थी,फिर मैं खिड़की के सामने खड़ी हो गईं और अपने बाल संवारने लगी,
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मैंने ऐसे दिखाया के मैं खान बाबा को देख नही पा रही,पहले तो अपने बालों को सहलाने लगी,फिर अपने बूब्स के ऊपर हाथ फेरने लगी,ये सब देख कर ही खान बाबा गर्म होने लगे, तभी उन्होंने मुझे पुकारा,
फतिमाह जरा एक गिलास पानी लाना, मैंने अंदर से जवाब दिया अभी लाई चाचा, मैंने जानबूझकर दुप्पटे को कमरे में रख दिया और बिना दुप्पटे के खाना बाबा को पानी देने गई,
मेरे सीने के उभार को ऊपर करते हुए मैं खान बाबा को पानी का गिलास देने लगी, उनका पूरा ध्यान मेरी चूचियों पर था,मेरी चूचियों को देखते हुए वो बोले फतिमाह तुम बहुत खूबसूरत हो,
तुम इतनी जल्दी बड़ी हो गई पता ही नही चला,मैंने मुस्कुराते हुए खान बाबा को देखा उनकी आंखों में हवस भरी हुई थी,मैने कहा खान बाबा आप तो मुझे बचपन से देखते आ रहे है,आप को याद है जब मैं छोटी थी,
आप की गोद में बैठा करती थी,क्या आज भी में आप की गोद में बैठ जाऊं,इतना बोल कर मैं उनकी गोद में बैठ गई,मुझे पता था उनका लंड पूरा तना हुआ था,मैं जैसे ही उनकी गोद में बैठी मुझे उनका लंड मेरी गांड पर मेहसूस हो रहा था,
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खाना बाबा हैरान हो गए,मैने उन्हें कस कर गले भी लगा लिया,मेरे दोनो बूब्स खान बाबा को छाती पर लग रहे थे, फिर मैने उनके लंड को ऊपर से पकड़ा और पूछा ये क्या चुभ रहा है,
मैं नीचे उतर गई तब तक लंड को पकड़ा हुआ था मैने पूछा खान बाबा दिखाओ ये क्या है,खान बाबा हैरानी से बोले अरे वो कुछ नही बेटा मैं जिद करने लगी नादान बन कर,
जिद करने लार खान बाबा बोले अच्छा रुको दिखाता हूं और उन्होंने अपना लंड बाहर निकला इतना मोटा लंड देख कर मेरी आंखो में चमक आ गई,लंड को हाथों में पकड़ रखा था और मैं कहने लगी,
इतना मोटा लंड तो यही मुझे चुभ रहा था, ये सब बोलते हुए लगातार लंड को सहलाना जारी रखा,अब तक खान बाबा का लंड पुरी तरह खड़ा हो गया था,अब मैं लंड को दोनो हाथों से मसलने लगी,
सहलाते हुए मैने लंड के ऊपर चूमा खाना बाबा ने अपना हाथ मेरे सिर पर रखा और लंड को मेरे मुंह में अंदर बाहर करने लगे, मैं भी यही चाहती थी, मेरे मुंह को चोदते हुए उनका हाथ मेरे स्तनों पर गया,
मेरे बूब्स को दबाने के बाद खाना बाबा बोले क्या मस्त बूब्स है तुम्हारे,आज मुझे अपने दूध पिला दो फतिमाह, तुम्हारा दूध बस मेरे लिए है,ये सब बोलते हुए खान बाबा ने मेरी कमीज ऊपर कर दी और मेरे दोनो स्तनों को आज़ाद कर दिया,
खाना बाबा दोनो हाथों से मेरे स्तनों को दबा रहे थे और मैं उनके मोटे लंड को चूस रही थी, मैं ऊपर बैठ गई ताकि खाना बाबा मेरे बूब्स को चूस सके तभी अचानक दरवाजे को किसी ने खट खटाया,
मैं जल्दी से अपने कमरे में बाग गई और खान बाबा ने भी अपने कपड़े ठीक किए और आराम से बैठ गए,फिर उन्होंने दरवाज़ा खोला दरवाज़े पर मेरे अब्बू खड़े थे, आगे की कहानी भाग –2 में जारी रहेगी…
Note: कहानी सत्या घटना है केवल नाम ओर स्थान बदले हुए हैं…desi adult stories