देवर भाभी का प्यार आम के बागीचे में Part 2 desi adult stories

बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल से पास हो कर कॉलेज चला गया था, मैं हमेशा घर वालो से फोन पर ही बात कर लेता था,कई सालो से मैं घर नही आया था.

नमस्कार पाठकों मैं उमेश फिर से हाज़िर हूं आगे की कहानी लेकर उससे पहले मैं अपने बारे में बता देता हूं मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं और मेरे लिंग का आकार 7 इंच और मोटाई 2.4 है,

पिछले भाग में आप सभी ने पढ़ा के कैसे भाभी मेरे साथ आम के बगीचे में जाने के लिए तैयार हो गई थी,अब आगे की कहानी पर आते है, हम सभी से बाते करते और मिलते हुए आ रहे थे,

सूरज सिर पर आ चुका था ,हम बगीचे में पहुंच तो गए, लेकिन गर्मी बहुत बढ़ गई थी, भाभी भी अब थोड़ा परेशान दिख रही थी, मैंने पूछा भाभी क्या हुआ तो बोली नही कुछ नही आज गर्मी बहुत ज्यादा है,

मैंने कहा कोई बात नही और बाइक को साइड लगा कर बगीचे में और अंदर चला गया, वहां बहुत घनी छाया थी और ट्यूबल भी थी, मैंने ट्यूबल को चलाया और कपड़े समेत कूद गया,

पानी की आवाज सुनकर भाभी भी मेरी तरफ आ गई और मुझे नहाते हुए देख कर बोली मैं भी आऊं मैंने कहा आए भाभी गर्मी बहुत है,फिर भाभी ने अपनी साड़ी उतारी और पेटीकोट ओर ब्लाउज़ में ही,

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कूद पड़ी उनका ब्लाउज कुछ ज़्यादा ही दीप नेक वाला था, क्यों की उनके बूब्स आधे से ज्यादा तो ब्लाउज़ से बाहर निकलें हुए थे,भाभी जैसे ही अंदर आई ब्लाउज़ गिला हो गया,अब भाभी की सफेद रंग की ब्रा दिखाई देने लगी,

मेरा ध्यान उनकी चुचियों पर था, मैं सोचने लगा ये दोनो दूध बाहर निकल जाए और मेरे मुंह में आ जाए,तभी भाभी ने भी मुझे नोटिस किया के मैं उनके बूब्स को घूर रहा हूं,

भाभी ने मुझे पूछा क्या हुआ कहा खो गए, मैने बोला कुछ नही और पानी में डुबकी मारी,पानी के अंदर नज़ारा देख कर मैं तो हैरान हो गया,पानी के अंदर भाभी का पेटी कोट जांघों के ऊपर आया हुआ था,

और उनकी गोरी गोरी टांगे देख कर मेरा लन्ड पानी में हो खड़ा होने लगा, शायद भाभी को भी पता था के मैने पानी के अंदर क्या देखा,क्यों की मैं बार बार पानी डुबकी लगाएं जा रहा था,

अब भाभी हल्की हल्की मुस्कुराने लगी थी और मेरे ऊपर पानी उछाल रही थी साथ मैं बोल रही थी के तुम बहुत शरारती हो गए हो,तभी भाभी ने महसूस किया के उनके पांव में पायल नही है,

पानी कमर तक था और भाभी बार बार झुक कर पायल ढूंढने की कोशिश कर रही थी,मैने पूछा क्या हुआ भाभी परेशान क्यों हो गई,तब भाभी ने बताया शायद मेरी पायल खुल कर नीचे रह गई,

ज़रा देखो कहां है, मैने कहा ठीक है और नीचे डुबकी लगा कर पायल ढूंढने लगा,पायल वही नीचे पड़ी हुई थी भाभी के टांगो के बीच मैने पायल को उठा कर अपनी जेब में रख लिया,

और बस ढूंढने का नाटक करने लगा,मैं धीरे से भाभी के टांगो के बीच चला गया और उनकी जांघों को पकड़ कर चूम लिया,भाभी ने लाल रंग की पेंटी पहनी हुई थी, जांघों को चूमते ही भाभी एक दम सुन हो गई,

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फिर मैं कुछ सेकंड बाद बाहर आ आया तो देखा भाभी अपने बूब्स पर पानी डाल रही थी और मुझे हवस की नजरों से देखे जा रही थी,भाभी ने ब्लाउज़ के ऊपर के बटन को खोल दिया,

बगीचा हमारा बहुत घना था और दूर दूर तक कोई इंसान नही था अगर होता भी तो नही आता क्योंकि बगीचे के चारो ओर बांध लगे हुए थे,अब भाभी को इस तरह देख कर मैने पूरा मन बना लिया के आज ही भाभी को चोदना है,

मैंने कहा भाभी ऐसा करो ब्लाउज़ उतार दो वैसे भी यहां कोई नही आने वाला, तो भाभी ने कहा वही कर रही हूं लेकिन ये बटन खुल नही रहे, मैंने कहा मैं मदद करूं, भाभी बोली हां जल्दी करो,

मैं भाभी के पास जाकर चिपक कर खड़ा हो गया और उनके ब्लाउज़ के बटन को दबा दबा कर खोल रहा था,जिस से भाभी की चूचियां दबने लगी, इस से भाभी और गरम हो गई,भाभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया,

मैं भाभी के होठों को चूमने लगा,भाभी ने भी मेरे दोनों होठों अपने मुंह से चूसने लगी,हम दोनो पानी में ही एक दूसरे चूम रहे थे, चूमते हुए ही मैने भाभी के ब्लाउज़ को उतार फेंका,अब भाभी मेरे सामने ब्रा और पेटिकोट में खड़ी थी,

मैं नीचे झुका और भाभी की जांघों पर चूमने लगा,भाभी की टांगे बहुत प्यारी थी,फिर मैंने भाभी को ट्यूबल की दीवार पर बैठा दिया, उनकी पैंटी और ब्रा निकाल दिया भाभी अब मेरे सामने नंगी हो चुकी थी,

दीवार पर बैठने के कारण भाभी की चूत मेरे मुंह के सामने थी मैने बिना देरी के चूत को चाटने लगा,भाभी मेरे बालों में अपने हाथो को घुमाने लगी, मैं उनकी चूत की दीवार में अपनी ज़ुबान को डालने की कोशिश कर रहा था,

भाभी मेरे हाथो को अपनी चुचियों पर रख कर दबा रही थी,पानी के अंदर चूत चाटने का मज़ा ही अलग था,भाभी मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत में डालने का प्रयास कर रही थी,

फिर मैंने अपने कपड़े उतार दिए और दीवार पर बैठ गया,अपना लुंड निकाल कर भाभी के सामने रखा तो भाभी खुश हो गई, तुरंत लुंड को मुंह में डालकर चूसने लगी,भाभी मेरे अंड कोष अपनी ज़ुबान से चाट रही थी,

फिर मैंने भाभी को बाहर आने को बोला और दीवार की दूसरी तरफ झुका कर पीछे से अपना लुंड भाभी की चूत में दाखिल किया, मैंने एक झटके से लुंड को चूत में डाल दिया,भाभी की अहा अहा अहूं बहुत मोटा है,

अब भाभी भी अपनी गंद हिला हिला कर चुदाई करवाने लगी,पूरे बगीचे में पट पट चट चट की आवाजे घूंजने लगी, फिर मैं झड़ गया और पूरा माल भाभी की चूत ही डाल दिया,उस दिन मैंने भाभी को 3 बार चोदा फ़िर शाम को हम घर चले गए…

Note: कहानी सत्या घटना है केवल नाम ओर स्थान बदले हुए हैं…desi adult stories

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