हैलो दोस्तों मेरा नाम गीता है मैं इंदौर की रहने वाली हूं,आप सभी पाठकों मेरा प्यार भरा नमस्कार, मैं भी आप सब की तरह अन्तर वासना कहानी पढ़ना पसंद करती हूं,
पहले मैं अपने बारे में बता दूं मैं शादीशुदा हूं मेरा एक बेटा है तीन साल का,मेरा रंग गोरा हैं,मेरी चुचियों का आकार 36 कमर 32 और गांड का आकार 34 है,मुझे साड़ी पहना पसन्द है और वो भी नाभि के नीचे,
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मेरे पति प्राइवेट कम्पनी में जॉब करते है,मेरे घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है,इसलिए हम किराए के घर में रहते हैं,मकान मालिक का नाम रमेश है, उसकी उम्र 43 साल हैं, देखने में ज़्यादा बूढ़ा नहीं लगता,
रमेश मुझे हमेशा से चोदना चाहता था, क्योंकि वो मुझे हर वक़्त हवस भरी नजरों से देखा करता था,जैसे कि मैंने शुरू में बताया के हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो कई बार किराया समय पर नहीं दे पाते थे,
समय पर किराया ना मिलने पर वो मेरे पति को कुछ न कुछ बोलने लगता था,फिर मैंने सोचा कुछ न कुछ करना होगा,अगले दिन रमेश बरांडे में बैठ कर न्यूज़ पेपर पढ़ रहा था, मैंने काले रंग की साड़ी के अंदर सफ़ेद रंग की पैंटी पहनी,
मैं सफाई के बहाने उसे अपने बूब्स दिखाने लगी,पहले तो वो टांगे फैला कर बैठा था फिर कुछ समय बाद दोनों टांगो को एक दूसरे पर रख कर बैठ गया, क्यों कि उसका लन्ड खड़ा हो चुका था,लन्ड तो बहुत बड़ा था,
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मैं सफाई जारी रखते हुए अपनी साड़ी को घुटनों तक उठा कर बैठ गई और नीचे के हिस्से को छोड़ रखा था,जैसे मैं पैरों पर बैठी नीचे का हिस्सा और नीचे ही गया और मेरी जांघें रमेश को दिखने लगी,
अब रमेश बार बार अपने गले को गिला करने लगा,मेरी सफ़ेद रंग की पेंटी भी रमेश साफ साफ देख सकता था, उसके जिस्म की आग भड़काते हुए हुए मेरे जिस्म की आग भी भड़क गई,
मैं गीली हो चुकी थी,फिर रमेश अपने लन्ड को सहलाने लगा,मेरा भी पूरा ध्यान उसके लन्ड पर था,वो अपने लन्ड को ऊपर से ही सहलाने लगा,जैसे मुठ मारने लगा,मैने भी अपनी साड़ी को थोड़ा और ऊपर कर दिया,
उसकी उत्तेजना और बढ़ गई,वो उठ कर बाथरूम की और चला गया,अपने आप को शान्त करने के बाद वापिस आया,मुझे बहुत गुस्सा आया,मैं भी वहां से चली गई,फिर अगले दिन मेरे पति को दो दिन के लिए बाहर जाना पड़ा,
पति के जाने के बाद रमेश बिना डरे मेरे आस पास घूमने लगा,वो ज़्यादा बात नहीं करता था लेकिन उसकी आँखें सब कुछ कह देती थी,वो बहाने से मेरे कूल्हों पर हाथ फेरा कर गया, उसी जगह न्यूज़ पेपर पढ़ने लगा,
मैंने इस बार नाइटी पहनी थी, नाइटी के अलावा कुछ भी नहीं था,अब सफाई करते समय नाइटी को घुटनों के ऊपर कर दिया और बैठ गई,इस बार रमेश खड़ा हो गया और मेरी तरफ आने लगा,
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उसका लन्ड लोहे की रोड की तरह तना हुआ था,उसने पजामे को नीचे किया और लन्ड को बाहर निकाल कर मेरे मुंह के सामने रख दिया,उसका रंग गेहुंआ था,लंबा मोटा तगड़ा लन्ड देख कर मुझ से रहा नहीं गया,
मैंने आगे बढ़ कर लन्ड को मुंह में डाल लिया और चूसने लगी, रमेश ने मेरे बालों को कस कर पकड़ लिया और मेरे मुंह को चूत समझ कर झटके मारने लगा, मैं अहान ह्यूमन कर के उसे उत्तेजित करने लगी,
फिर उसने मेरे बूब्स को दबाना शुरू किया,मेरे निप्पल पर चूटी काटने लगा,मुझे भी मजा आ रहा था,फिर उसने मुझे ज़मीन पर लिटा कर मेरी टांगो को फैला कर लन्ड को मेरी चूत में दाखिल कर दिया,
इतना मोटा लन्ड अन्दर जाने के बाद मेरी चीख निकल गई, अहान ऊंह अहा आह करने लगी,फिर उसने धीरे धीरे लन्ड को अंदर बाहर करना शुरू किया,अब उसने तेजी से चुदाई शुरू कर दिया, थोड़ी देर बाद वो झड़ गया,
उस दिन से रमेश को जब भी मौका मिलता वो मेरी चुदाई करता,या फिर यूं कहू के जब भी हमें मौका मिलता हम चुदाई करते,मुझे भी उसके लन्ड का स्वाद लग गया था,कहानी को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद..
Note: कहानी सत्या घटना है केवल स्थान और नाम बदले हुए हैं…indiasex stories