सभी पाठकों को मेरा नमस्कार,मेरा नाम अनिरुद्ध हैं,मैं बनारस का रहने वाला हूं,आप सभी की तरह मुझे भी देसी कहानियां पढ़ने का बहुत शोक है हर रात एक चुदाई की मस्त कहानी पढ़ कर सोता हूं,
ऐसा समझ लो बिना कहानी पढ़े मुझे नींद नहीं आती है, इन्हीं कहानियों से प्रेरित हो कर मैंने सोचा मैं भी अपनी कहानी आप सभी के सामने ले कर आया हूं,ये कहानी आज से पंद्रह साल पहले की हैं,
जब मेरे पिता ने दूरी शादी की थी और मेरी सगी मां को छोड़ दिया था,मेरी दूसरी मां यानी सौतेली मां जिसका नाम तनीषा था वो देखने में बहुत सुंदर थी और कामुक बदन की मालकिन थी,शुरू मैं मुझे तनीषा से कोई लगाव नहीं था,
लेकिन जैसे जैसे तनीषा मेरे साथ समय बिताने लगी,वो मुझे अच्छी लगने लगी,धीरे धीरे मेरे विचार तनीषा के लिए बदलने लगे,अब मेरी नज़र हर दम तनीषा की चुचियों को निहारती रहती थी,
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मुझे जब भी मौका मिलता मैं तनीषा के साथ चिपक कर बैठ जाता और उनके शरीर को चुने लगता,तनीषा को भी पता था मैं उसके बदन को स्पर्श कर रहा हूं लेकिन कभी कुछ नहीं बोली,
मेरे पिता ज़्यादातर घर नही आते थे लेकिन जब भी आते थे दोनो का झगड़ा होता था,दरअसल शाम तक तो सब ठीक रहता था, मगर जैसे ही रात होती तो दोनों आपस में झगड़ने लगते थे,मेरे पूछने पर कुछ भी नही कहते थे,
फिर एक दिन मैंने सोचा के पता करूं आखिर ये दोनों झगड़ा क्यों करते है,रात को खाने के बाद हम सब अपने अपने कमरे में चले गए,थोड़ीदेर बाद फिर दोनो झगड़ने लगे,मैं चुपके से उनके कमरे के बाहर खिड़की से अंदर देखने लगा,
मैंने जैसे ही अंदर देखा अंदर का नज़ारा देख कर हैरान हो गया, तनीषा पूरे कपड़े निकाल कर बैठी थी और मेरे पिता को बुला रही थी के आयो ओर इसे चाटो लेकिन मेरे पिता बस देख रहे थे,फिर कुछ देर बाद दोनों की बहस होने लगी,
मैं वही से दोनों को देख रहा था, शायद यही कारण था दोनों के झगड़े का, मैं वही खड़े हो कर मुठ मारते हुए सब सोच रहा था, वैसे तनीषा का बदन बहुत खूबसूरत था, उसके बड़े बड़े बूब्स गोरी गोरी टांगे देख कर मेरा मन कर रहा था मैं ही उसे चाट लू,
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लेकिन फिर खुद पर काबू की और अपना माल वही निकाल कर सोने के लिए चला गया,अगले दिन मेरे पिता कम से बाहर चले गए और अगले दिन दिनों तक मैं तनीषा ही रहने वाले थे,अब मैं तनीषा से डबल मीनिंग में बात करने लगा,
पहले तो तनीषा कुछ नहीं बोली लेकिन बाद में कहने लगी आज तुम्हे क्या हुआ है कैसी बातें कर रहे हो, मैंने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही मुझे अच्छा लगता है अमरूद पर नमक लगा कर चाटना, मेरे जैसा अमरूद कोई नहीं चाट सकता,
अब वो बड़ी बड़ी आंखे कर के मुझे अजीब तरह से देखने लगी,समझ नहीं आ रहा था गुस्सा है या फिर चूत चटवाने की फिलिंग,फिर मैं सोफे बैठा था तभी तनीषा आई और मेरे पास बैठ गई,
तनीषा ने ऐसे कपड़े पहने हुए थे के उसके बूब्स की दरार दिखाई दे रही थी,तनीषा से मुझ से कहा आज ठीक तो हो क्या हुआ तुम्हे सुबह से देख रही हूं कुछ अलग व्यव्हार तुम्हारा, मेरी तबियत ठीक नहीं है मेरे सर में भी दर्द है,
इतना बोल कर मैं तनीषा की गोद में सिर रख कर लेट गया,मेरा सिर तनीषा की जांघों के ऊपर था और उसकी ड्रेस घुटनों से ऊपर थी,मैंने धीरे से ड्रेस को थोड़ा और ऊपर सरका दिया,अब मेरा सिर तनीषा की नंगी जांघों पर था,
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तनीषा मेरे सिर को सहला रही थी, मैंने धीरे से उसकी जांघों को चूमा तनीषा ने मेरे सिर दबा दिया,वो एक दम से सहम सी गई, ओह ओह ह्यूमन करते हुए बोली क्या कर रहे तुम, मैंने कहा कुछ मत बोलो और दोबारा से जांघों पर चूम लिया,
इस बार तनीषा ने खुद से ड्रेस को ऊपर कर दिया और दोनों टांगो को नंगा कर दिया, मैं धीरे धीरे चूमते हुए चूत की और बढ़ा,तनीषा ने पिंक कलर की पेंटी पहनी हुई थी, मैं पेंटी के ऊपर से ही चूत को चाटने लगा, तनीषा आह ओहह्ह्ह याह अहा ऊंह हम्म्म,
आहान चाट डालो मुझे अंदर समा जाओ मेरे ये सब बोलते हुए अपनी पेंटी को निकाला और इतने ज़ोर से फेंका के वो रूम के दूसरे छोर पर गिरी,फिर तनीषा ने अपनी दोनो टांगो को खोला और चूत को मसलते हुए मुझे अपनी ओर खींचा,
तनीषा की चूत हल्की गुलाबी थी जिस पर एक बाल नहीं थे,फिर मैंने तनीषा की अधूरी इच्छा को पूरा करने लगा,चूत के मुहाने पर अपनी जुबान से चाटने लगा,चूत के दाने को ऊपर नीचे करने लगा, तनीषा ने मेरे सिर को दोनो हाथों से पकड़ा हुआ था,
मैं जैसे जैसे ज़ुबान को ऊपर नीचे करता तनीषा का बदन भी ऊपर नीचे होता,उसके मुंह से अहान ऊंह हम्म्म आह ओहह्ह्ह याह की आवाजें निकल रही थी,जब मैं चूत को चाटना तब तक तनीषा दो बाद झड़ चुकी थी,फिर मैंने तनीषा को नीचे बिठाया और पीछे से उसकी चूत में
लन्ड को दाखिल किया,वो बोली इतना बड़ा लन्ड वो खुशी से झूमने लगी, मैंने धीरे से लन्ड को उसकी चूत पर रखा और झटका दिया,लन्ड एक ही झटके से अंदर चला गया, क्योंकि की मैं ऐसी पोजिशन में बैठा थे के मेरा लन्ड उसकी चूत के बराबर था,
फिर मैंने लन्ड को अंदर बाहर करना शुरू किया तनीषा अहान ऊंह हम्म्म आहान ओह करने लगी, चुदाई करते हुए मैं तनीषा की गांड को चमाट मारे जा रहा था,तनीषा को भी इस से मजा आ रहा था,
फिर थोड़ी देर तक चुदाई हुई उसके बाद मेरा माल निकल गया, मैंने कई सालों तक अपनी सौतेली मां की चुदाई की,फिर मेरी शादी होने बाद ये सिलसिला बंद हुआ, कहानी को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद…
Note: ये कहानी सत्या घटना है केवल नाम और स्थान बदले हुए हैं….