सभी पाठकों को मेरा नमस्कार! मेरा नाम ओम प्रकाश है मैं हरियाणा का रहने वाला हूं,मेरे लिंग का आकार 8 इंच का है, मैं पेशे से व्यापारी हूं,जिस कारण देश में हर जगह जाता रहता हूं,
आज मैं अपने जीवन की घटना आप सभी पाठको के समक्ष लेकर आया हूं,ये बात आज बीस साल पहले की हैं,एक लडकी जिसका नाम चमेली थीं,उसकी उम्र उस समय 22 वर्ष थी,
चमेली देखने में बहुत खुसूरत थी और साथ में उसका बदन इतना कामुक था के जो देख ले अपने लंड को सहलाए बिना रह नही सकता था,उसके स्तन 42 के और गांड 40 की थी,
आप सभी मेरी कहानी Fantasystories.in पर पढ़ रहे हैं, यहां पर आप को रिश्तों में चुदाई, दोस्त की हॉट मॉम की चुदाई,मेरी हॉट चाची,लेस्बियन सेक्स स्टोरी, देसी गांव की सेक्स स्टोरी पढ़ सकते हैं,
चमेली का बदन हरा भरा था, मुझे इस प्रकार की लड़कियां बहुत पसंद हैं,देसी गर्म कहानियों में हमेशा हरी भरी बदन वाली लड़कियों की कहानी पढ़ा करता था,अब आप का ज़्यादा समय न लेते हुए कहानी पर आते है,
जहां पर मेरा ऑफिस था उसके ठीक सामने चमेली का घर था, मेरे दोस्तों ने भी चमेली को पटाने की कोशिश की लेकिन वो किसी के हाथ नही आई,क्यू की उसकी चूत पर सिर्फ मेरे लंड का नाम लिखा हुआ था,
कुछ समय ऐसे ही चमेली को देखते हूं गुज़र रहा था,एक दिन उसके पिता जी मेरे ऑफिस में आए, मैं तो डर गया के शायद चमेली ने बता तो नही दिया के मैं उसे हर रोज देखता हूं,
ये सभी खयाल मेरे मन में लाइट की स्पीड से दौड़ गए, मगर फिर मैं सोचा कोई बात नही जो होगा देखा जाएगा,वो अंदर आया और ओम प्रकाश मुझे थोड़ी सी मदद चाहिए, क्या तुम मेरा छोटा सा काम करोगे,
मैंने मन ही मन में बोला खोदा पहाड़ निकली चुहिया,मैने कहा हां जी ताऊ जी जरुर करेंगे आप काम बताइए, चमेली के पिता ने कहा मेरी लड़की की कल परीक्षा है और टाइम पर पहुंचना बहुत जरूरी है,
क्या तुम मेरी लड़की को उसके परीक्षा के स्थान पर छोड़ दोगे तुम्हारी जीप में, मैंने कहा अरे! ताऊ जी बस इतनी सी बात बिलकुल छोड़ आऊंगा,अगर आप चाहते हो तो आप मेरी जीप ले जाओ आप खुद ही छोड़ देना,
मैंने ये सब कहा चमेली के पिता से वो बहुत खुश हो गए और बोले भी तुम ही छोड़ देना, मैंने सोचा तकदीर ने एक मौका दिया है, चमेली को पटाने का अगले दिन में ऑफिस आया,और चमेली के पता,
चमेली को लेकर आए,मुझे लगा शायद साथ में चमेली के पिता हुई आयेगा लेकिन चमेली ने अपने पिता को डांट कर घर पर रुकने को बोला शायद उनकी तबीयत ठीक नही थी, चमेली ने काले रंग का सूट और सलवार पहना हुआ था,
दूर से तो बहुत देखा था लेकिन आज पहली बार चमेली को इतने नज़दीक से देखा तो मेरा मुंह खुला का खुला रह गया, कितनी खूबसूरत गुलाबी होठ गोरा रंग, बड़ी बड़ी चूचियां जिसे चमेली छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी,
मेरी तो नजर जैसे चमेली पर अटक गई थी, चमेली के पिता ने मुझे पुकारा तब जाकर मुझे होश आया,फिर मैने चमेली को पीछे बिठाया और परीक्षा के स्थान की और चल पड़ा,कुछ दूर जाने के बाद चमेली ने जीप रोकने को बोला, मैंने जीप रोक दी,
चमेली पीछे से उठ कर मेरे साथ वाली सीट पर बैठ गई यह बोलते हुए के पीछे गर्मी लग रही है, मौसम तो बहुत अच्छा था कुछ खास गर्मी नही थी लेकिन चमेली ने ऐसा क्यों किया,
मैं समझ गया, चमेली भी मुझ से चुदने के लिए तड़प रही है,अब बस मुझे पहल करने की देरी थी,कुछ देर यानी तकीरबन आधा सफर तय होने के बाद,मैने देखा चमेली के जंगो पर हल्की हल्की धूप पड़ रही है और उसकी जांघें चमक रही है,
उसका सूट पतला था जिस कारण उसकी जांघें साफ साफ नज़र आ रहीं थी,मेरा लंड पैंट में अंगडाई लेने लगा, जिसकी वजह से पेंट में उभार आ गया, चमेली ने भी मेरे उभार को देख लिया, फिर अगले पल मैने मेहसूस किया,
चमेली का घुटना मेरे घुटने से सट रहा था,अब मेरे दिल की धड़कन बढ़ रही थी, मैंने गियर बदलने के बहाने मेरा हाथ अपने पैरो पर,रखा और ऐसे कर रहा था जैसे मुझे कुछ पता नही,
मैंने हाथ की सबसे छोटी उंगली से उसके घुटने को छूने लगा,ये देखने के लिए कि उसकी प्रतिक्रिया क्या है, चमेली ऐसे ही बैठी रही उसके आहव भाव नही बदले,
फिर दो उंगलियों से उसके घुटने को सहला रहा था, तभी सड़क पर अचानक गड्ढा आ गया, जीप मेरी तरफ झुक गई और चमेली की चूचियां मेरे चहरे से टकरा गई, आह! चमेली के मुंह से निकला,
इतनी मुलायम चुचियों को स्पर्श लगने से मेरा लंड पूरा तन गया,फिर परीक्षा का स्थान आ गया, मैंने सोचा अभी तो चमेली गर्म होना शुरु हुई थी लेकिन सारा मज़ा किरकिरा हो गया, चमेली को परीक्षा हॉल में छोड़ने के बाद मैं,
बाज़ार की तरफ़ निकल गया और इंतजार करने लगा के कब चमेली की परीक्षा खत्म होगी, तकरीबन चार घंटे के बाद चमेली बाहर आई और मुझे देख कर मुस्कुराई मैं तो खुशी से नाचने लगा,
फिर चमेली जीप में बैठ गई और मैने उसको स्नैक्स दिए,वो देख कर बहुत खुश हो गई और कहने लगी अच्छा हुआ आप स्नैक्स ले आए बहुत भूख लगी हुई हैं, मैंने पूछा आप की परीक्षा कैसी हुई,उसने जवाब दिया सब अच्छे से हुआ,
मैंने कहा ठीक है, अब धीरे धीरे अंधेरा हो रहा था लेकिन चांदनी रात थी तो हम एक दूसरे को अच्छे से देख सकते थे, वापिस आते समय मैने अलग रस्ता लिया, जिस रास्ते लोग बहुत कम आते जाते है,
आगे की कहानी अगले भाग में कृपया इंतजार करिए मुझे भी बहुत इच्छा है आप सभी पाठको को मेरी कहानी बताने में जल्दी मिलेंगे…
Note: कहानी सत्या घटना है केवल नाम ओर स्थान बदले हुए हैं…desi adult stories