हेलो दोस्तों मेरा नाम नीलम है, मैं उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूं, मेरे शादी हो चुकी है और मेरे पति मुझे संतुष्ट कर देते हैं लेकिन थोड़ा बहुत कमी रह भी जाती है,ये एक लेस्बियन सेक्स स्टोरी है,
ये कहानी मेरी जेठानी के साथ हुई घटना है, मेरी जेठानी का नाम आशा है और वो बहुत सुंदर है,स्तन इतने बड़े के ब्लाउज बाहर आने को मचलते रहते है और गांड इतनी बड़ी के चाय की प्याली रख सकते है,
शुरु शुरू में आशा मुझ से ज्यादा बात नही करती है,लेकिन फिर धीरे धीरे हम एक दूसरे से बात करने लगे,ज्यादा तर हम दोनो दिन के समय अकेले ही रहते थे, क्योंकि हम दोनो के पति एक साथ काम करने जाया करते थे,
मेरी जठानी लेस्बियन थी, वो मुझे कई बार मजाक मजाक में बोलती थी के तुम्हारा बदन बहुत सुंदर है, घर में हम दोनो ही है तो तुम अपने कपड़े उतार कर रह सकती हो और हसने लगती थी,
एक दिन मेरे बालो में तेल लगाने को बोली और फिर मेरी गर्दन को चूमने लगी, मुझे ये सब अच्छा नही लगा इस लिए में नाराज़ हो कर चली गई, कई दिन मैंने आशा से बात नही की,फिर एक दिन,
हम टीवी देख कर रहे थे जिस पर सावधान इंडिया प्रोग्राम चल रहा था और उसमे एक लेस्बियन स्टोरी की कहानी को दिखाया जा रहा था, मैं तो एक दंग रह गईं के ये सब क्या हो रहा है आज कल,
फिर मैंने आशा से पूछा ये कैसे हो सकता है एक लडकी दूसरी लड़की से प्यार कैसे कर सकती है, उस दिन मेरी जेठानी ने लाल रंग की नाइटी पहनी हुई थी, जिसमे वो बहुत सुंदर लग रही थी,
वो मेरे पास आ कर बैठ गई और बोली क्यों ऐसा क्यों नही हो सकता और मेरे कंधे पर हाथ रख कर सहलाने लगी,जब लड़की इतनी खूबसूरत हो तो आपस में प्यार करने में गलत क्या है,
मेरे हाथो को अपने हाथो में लेकर चूमने लगी, मैंने अपने हाथों पीछे खींच लिया और बोला ये सब गलत है,आशा ने दोबारा मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली सही गलत कुछ नही होता बस तुझे प्यार करना नही आता,
लेकिन तू चिंता मत कर मैं हूं ना मैं तुझे प्यार करना सिखाती हूं,ऐसा बोल कर मेरे बालो खोल दिया और मेरी गर्दन पर चूमने लगी, जेठानी का चुम्मन इतना कामुक से भरा था के मैं भी खुद को रोक नही पाई,
मैं बोलने कोशिश करने लगी लेकिन आशा ने मेरे होठों पर अपनी उंगली रख दी और बोली शशश्श बिलकुल चुप हो जाओ,तुम्हे नही पता प्यार कैसे करते है आज अपनी देवरानी को प्यार करना सीखना पड़ेगा,
जेठानी ने अपनी नाइटी निकाल दी और अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में खड़ी थी,जेठानी की चूत इतनी फूली हुई थी की उसकी लाइन पेंटी के ऊपर से दिखाई दे रही थी,मेरा ध्यान बस जेठानी की चूत पर था,
आशा अब मेरे पास अपनी टांगो को फैला कर बैठ गई और मेरे सीने पर चूमने लगी,मेरे ब्लाउज के बटन को खोलने लगी, मैंने भी विरोध नही किया,अब तक मेरा ब्लाउस जेठानी द्वारा उतारा जा चुका था,
अब मैं और आशा दोनो ही ब्रा में बैठे थे, वो मेरे स्तन को निहारने लगीं, मैं थोड़ा शर्मा गई आशा ने मुझे अपने गले से लगाया और मुझे फिर से चूमने लगी,इस बार मैं भी खुद को रोक नही पाई और आशा को अपनी बाहों में,
जकड़ लिया और ऐसे लिपट गई जैसे सांप चंदन के पेड़ से लिपट जाता है,फिर मैने अपने नीचे का पेटी कोट निकल दिया और अब सिर्फ पेंटी में थी, आशा ने मुझे अपनी गोद में बिठाया और अपने स्तनों को ब्रा से आजाद किया,
मेरे मुंह में अपने रसीले स्तनों को डाल कर चुसवाने लगी,उनके निप्पल सुर्ख गुलाबी थे, मैं मुंह से चूसने लगी सच में मुझे भी अब तो मजा आने लगा, आशा की मैं चुचियों चूमने में व्यस्त थी और आशा मेरी चूत को मसलने में,
मेरी चूत की दरारों में उंगली को फेरते हुए बार बार अंदर डालने का प्रयास कर रही थी,तभी एक झटके से उंगली को अंदर डाल दिया और अंदर बाहर करने लगी,मेरी हल्की सी चीख निकल गई,
मैंने आशा के निप्पल को दांतो से दबा दिया, आशा दर्द में आह ऊं करने लगी,फिर वो लेट गई और अपनी पेंटी को उतार कर अपनी जांघों को दोनो हाथों से मसलने लगी साथ में चूत को भी मसल रही थी,
चूत की दरारों को मसलते हुए आशा के चूत से उसकी ज़ुबान दिखाई दे रही थी, मैंने झुक कर चूत को चूमने लगी, फिर आशा ने अपनी दोनो टांगो को फैला दिया जैसे किसी मेढ़क को उल्टा कर दिया जाए,
आशा मुझे हवस भरी नजरों से देखने लगी और बोली अब चाटो मेरी चूत को,पूरा चाट डालो मेरी योनि के रस को पीजाओ, आशा की ये सभी बातें सुन कर मुझ भी गरमी आ गई, मैंने आशा की चूत को कुछ इस तरह,
चाटना शुरू किया ऊपर से नीचे तक फिर नीचे से ऊपर तक और अपनी जुबान को अंदर डालने की कोशिश करने लगी, चूत इतनी चिकनी थी के मेरी जुबान फिसल रही थी,आशा ने चूत को बिलकुल साफ कर रखा था,
कुछ देर चाटने के बाद आशा ने मुझे अपनी जगह पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चूमने लगी, चूमते हुए मेरी नाभि तक चली गई और अपनी जीभ से नाभि को चाटने लगी,
अब तक हम दोनो चरम सुख का अनुभव कर चुके थे,फिर मेरी योनि की तरफ़ जाने के बाद मेरी चूत के होठों को चूमने लगी,मुझे बहुत आनंद आ रहा था, फिर मैने भी अपनी टांगे खोल दी जैसे आशा ने खोली थी,
आशा ने अपनी जुबान को अंदर डाला जितना अंदर वो डाल सकती थी,अपनी जुबान से मेरी चूत को चोदने लगी, मुझे नही पता मैं किस दुनियां में जा चुकी थी, क्यों की ऐसा अनुभव मुझे कभी नही हुआ,
अब आशा ने मेरी चूत के दाने को अपनी मुंह में डाल कर चूसने लगी जैसे मैं उसके निप्पल को चूस रही थी,मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी लहर दौड़ने लगी, जिसे मैं शब्दो मे बयान नही कर सकती,
फिर मुझे ऐसा लगा के एक बिजली सी मेरी चूत से बाहर निकल गईं, पहली बार मैं झड़ी थी, क्यों की मैने पहले ही बताया था मेरे मुझे संतुष्ट करते है लेकिन कुछ कमी रह ही जाती है,
उस कमी को मेरी जेठानी ने पूरा किया है,ऐसा सुख मुझे पहले कभी नही मिला मैने अपनी जेठानी को गले से लगाया और थैंक यू बोला है,अब हम दोनो एक दूसरे को रोज़ खुश करते हैं,कहानी को पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद…
Note: कहानी सत्या घटना है केवल नाम ओर स्थान बदले हुए हैं…desi adult stories