हैलो दोस्तों मेरा नाम हरी लाल है मैं बरेली का रहने वाला हूं,मेरे लंड की लम्बाई 7 इंच और मोटाई 2.5 इंच है, आज मैं आप को मेरी गर्लफ्रेंड जिसका नाम मीना था,
उसके साथ हुई चुदाई की घटना बताने जा रहा हूं, वैसे तो मीना का रंग गेहुआ था लेकिन बदन उसका रंभा जैसे था, उभरी हुई गांड भरी भरी चूचियां , देख कर ही लंड पेंट में अड़ाई लेने लगता था,
मैं एक फैक्ट्री में काम करता था और जिस रास्ते में मेरी फैक्ट्री थी उसी रास्ते में मीना का घर भी था , हर रोज शाम को मीना अपने घर के सामने खड़ी रहती थी, उसके घर के सामने ट्रेन की पटरी भी थी,
आते जाते मैं हमेशा मीना को देखा करता था लेकिन कभी बात नही कर पाया, फिर उसके पड़ोस का लड़का मेरी फैक्ट्री में ही करने के लिए आने लगा, जिसका नाम मोहन था,
कुछ दिन ऐसे ही बीत रहें थे और मैं हर रोज मीना को देखा करता था, फिर मैंने मोहन से दोस्ती करली, एक दिन मोहन मुझे अपने घर ले गया, मोहन की मां नही थी वो अपने भाई और बहन के साथ रहता रहा था,
फिर एक दिन मोहन काम को नही आया मैंने किसी पूछा तो पता चला वो बीमार है , शाम को मैं मोहन का हाल पूछने के लिए गया और वहां मीना दरवाज़े पर खड़ी थी ,
मुझे देख कर मुस्कुरा रही मैने भी हिम्मत कर के उसका नाम पूछा तो उसने मीना बताया , उस दिन के बाद हमारी रोज बात होने लगी , अब मैं मीना को चोदना चाहता था और वो भी यही चाहती थी,
मीना ने मुझे रात को मिलने के मिलने के लिए बुलाया , हमने दिन में मिलने की जगह तय कर रखी थी, मैं रात होते ही उस जगह पर जा कर बैठ गया, मीना तकरीबन 11 बजे पानी लेकर आई,
मैने पूछा ये पानी किस लिए तो बोली आप के लिए मुझे बहुत खुशी हुई मैं पानी पिया और मीना को चूमने लगा ,मीना भी मुझ से लिपट गई मानो इसी दिन का इंतजार कर राही थी,
अंधेरा इतना था के कुछ दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन इतना महसूस हो रहा था के मीना गरम हो चुकी थी , मीना के कपड़े उतारने लगा तभी किसी के आने की आहट सुनाई दी,
कुछ औरतें हाथ में लोटा लेकर लेट्रिंग करने आई , वो सभी मीना के आस पड़ोस की थी मैंने मीना को जाने के लिए बोला ताकि उसे कोई देख न ले फिर मैं भी छुप कर वहां से चला गया ,
मुझे बहुत बुरा लगा लंड खड़ा का खड़ा ही रह गया , मीना भी प्यासी रह गई अब हम दोनो तड़पने लगे , फिर अगले दिन हमने दूसरी जगह को चुना ठीक 11 बजे मीना फिर पानी ले कर आई , मैने जैसे ही मीना को बांहों मैं भरा ट्रेन की बहुत तेज आवाज आई और हम दोनों डर गए,
हमें फिर से वापिस लौटना पड़ा ,कुछ दिन ऐसे ही बीत गए , एक दिन मीना बहुत खुश थी, मोहन के घर के पास मुझे बुलाया और बताने लगी के कुछ दिन बाद उसके माता पिता शहर जा रहे हैं किसी काम से और घर में सिर्फ उसका छोटा भाई और वही रहेगी ,
फिर उसके माता पिता शहर चले गए , उसी रात मैं मीना के घर गया उसका भाई सो रहा था , मीना ने पूरी सजावट कर के रखी थी क्यों की उसको भी पता था आज उसकी चूत को लंड का स्वाद चखने को मिलेगा,
कमरे में जाते ही मीना ने दरवाज़े को बंद कर दिया , आज मुझे मीना की आंखे दिखाई दे रही थी जिसमे मुझे लंड की तलब दिख रही थी, मीना अपनी ओर खींच हुए हुए उसके होठों को मेरे होठों से मिला दिया ,
मीना पूरे जोश में मेरे होठों को चूमने लगीं और अपने हाथ मेरे लंड को सहला रहा थी पेंट के ऊपर से ही , मैंने भी मीना को गोद में बिठा कर चूमने लगा और उसके बूब्स को मसलने लगा जो इतने मुलायम थे मानो कोई मलमल का तकिया हो,
मैंने जैसे ही लंड को बाहर निकाला मीना की आंखे चमक उठी इतना बड़ा लंड देख कर , उसने बिना देरी किए हुए लंड को मुंह में डाल कर मुझे जन्नत की घुमाने लगी ,मीना अपनी जुबान को मेरे लंड पर घुमाए जा रही थी,
फिर मीना ने मुझे लिटा दिया और मेरे लंड के ऊपर बैठ कर खुद ही अंदर बाहर करने लगी , मुझे बहुत मज़ा आ रहा था ,मीना मेरे ऊपर लेटकर लंड को चूत के अंदर बाहर करने लगी, फिर कुछ देर में मेरा पानी निकल गया अब फिर अगले दिन भी यही सब हुआ,
मीना के माता पिता शहर से 40वें दिन वापिस लोटे , चालीस दिन तक हर रात मैने मीना की अलग अलग तरीके चुदाई की थी, वो मेरे जीवन के सबसे अच्छे दिन थे…
अब आप भी हमें अपनी कहानी भेज सकते हैं आप की पहचान को गुप्त रखा जायेगा..
Note: कहानी सत्या घटना है केवल नाम ओर स्थान बदले हुए हैं…desi adult stories