मल्लू आंटी की मस्त चुदाई घर में – indiasex stories

मैं मल्लू के घुटने पर बर्फ लगा रहा था मल्लू मुझे बार बार बोल रही थी के रहने दो चाय ज़्यादा गर्म नहीं थी कुछ नहीं हुआ,लेकिन फिर भी मैं बर्फ़ लगा रहा

हैलो दोस्तों मेरा नाम रवि हैं और मैं इंदौर का रहने वाला हूं,आप की तरह मैं भी देसी कहानियों का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं, देसी सेक्स कहानियां पढ़ने के बाद ही मुझे अपनी कहानी लिखने के लिए प्रेरित हुआ हूं,

आज मैं आप को अपने जीवन की एक ऐसी कहानी बताने जा रहा हूं, जिसको पढ़ कर आप को मज़ा आ जाएगा,ये बात आज से 5 साल पहले की है,मेरे घर के पास मालिनी आंटी रहने आई थी,

अब मैंने आंटी बोला तो इस का मतलब ये नहीं के मैं किसी आंटी की ही बात कर रहा हूं, दरअसल उनको मैं चाची के कहने लगा तो उनको अच्छा नहीं लगा रहा था इस लिए मैं उनको मल्लू आंटी बोलता था,

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मल्लू आंटी का फिगर 36 चूचियां 34 कमर और 34 की गांड थी,मल्लू आंटी पूरी हरि भरी थी मतलब उनका पूरा जिस्म भरा हुआ था,कोई भी एक बार देख ले ही अपने लन्ड को सहलाए बिना नहीं रह सकता था,

जब मल्लू आंटी मेरे घर के बगल शिफ्ट हुई थी,तब मेरे घर वाले उनके घर जाने लगे ताकि थोड़ी बहुत जान पहचान हो जाए,अच्छे पड़ोसी के नाते मेरे घर वालों ने ऐसा किया,फिर कभी कभी मैं अकेला ही मल्लू आंटी के घर चला जाता था,

मैं ज़्यादातर सुबह के समय आंटी के घर जाता था क्योंकि उस समय आंटी नाइट ड्रेस में रहती थी और अंदर ब्रा पेंटी भी नहीं पहनती थी,उनके बूब्स इतने मस्त थे के अब मुझे उनकी आदत हो गई थी,धीरे धीरे आंटी भी समझ गई के मैं उनके घर किस लिए आता हूं,

फिर एक दिन मैं मल्लू आंटी के घर गया, मल्लू घर के कम कर रही थी मैं रोज़ की तरह सोफे पर जा कर बैठ गया,मल्लू हम दोनो के लिए चाय लेकर आई,मुझे चाय देते समय चाय आंटी के पैरों पर गिर गई,

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दरअसल चाय का कप मेरे हाथ से छूट गया,मैंने जल्दी से आंटी के पैरों को साफ किया,भाग कर गया और बर्फ के लेकर आया और आंटी के पैरों पर लगाने लगा,मल्लू ने उस समय नाइट ड्रेस पहने हुई थी,

मैं मल्लू के घुटने पर बर्फ लगा रहा था मल्लू मुझे बार बार बोल रही थी के रहने दो चाय ज़्यादा गर्म नहीं थी कुछ नहीं हुआ,लेकिन फिर भी मैं बर्फ़ लगा रहा था,बर्फ़ लगाते समय मैंने नोटिस किया के मल्लू के पैरों पर एक भी बाल नहीं है,

उनका पैर एक दम दूध की तरह सफ़ेद जिस जगह बर्फ़ लगा रहा था उस जगह गुलाबी हो गया था,मैने सोचा मल्लू के पैर इतने सुंदर है तो चूत कितनी सुंदर होगी,मल्लू अब धीरे धीरे मेरे स्पर्श को महसूस करने लगी और बिल्कुल खामोश हो गई,

मेरा बर्फ लगा जारी था,फिर मैं अपने हाथों से मसलने लगा,अब मल्लू होठों को दांतों से दबाने लगी,मल्लू का गला भी सूखने लगा,आप को बता दूं जब भी किसी स्त्री की वासना जागती है तो वो बिल्कुल मोन हो जाती है,

मल्लू भी पूरी तरह मोन हो गई थी,मैं धीरे धीरे अपने हाथों को मल्लू की जांघों को और ले गया,मल्लू अब लंबी लंबी सांसे लेने लगी,मैं हाथों मल्लू की चूत के पास ले गया,मल्लू ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की,

फिर मैंने मल्लू की चूत सहला दिया,धीरे धीरे अपने हाथ को चूत के ऊपर फेरने लगा, मल्लू अहा….. अह… हम्म्म….करने लगी,मल्लू ने अगले पल अपने दोनों पैरों को फैला दिया ताकि मेरा हाथ चूत की दरारों को अच्छे स्पर्श कर सके,

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मैंने मल्लू की कमर पर हाथ रखा ओर ड्रेस को उतारने के लिए इशारा किया मल्लू ने अपनी कमर उठाई और मैंने पजामे को निकाल दिया,मल्लू की टांगे बहुत खूबसूरत थी और चूत के क्या कहने चूत पर भी बाल नहीं था,

चूत को देख कर मुझ से रहा नहीं गया,मैं सोफे के नीचे बैठ गया और मल्लू के दोनों टांगो के बीच सिर को डाल कर चूत को चाटने लगा,चूत की दरार में अपनी ज़ुबान को डाल कर ऊपर नीचे करने लगा,

मल्लू आह ओहह्ह्ह याह अहा ओह याह करने लगी,मैं चूत चाटने में व्यस्त था तब तक मल्लू ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए,मल्लू की चूचियां भी बहुत खूबसूरत थी,दोनो बूब्स को पकड़ कर चूत को कुरेद रहा था,

फिर मैंने मल्लू को लिटाया और चूत को सहलाते हुए अपने लन्ड को चूत के ऊपर रख कर फेरने लगा, मल्लू कहने लगी मत तड़पाओ अब जल्दी डाल दो मेरी चूत की प्यास बुझा दो,फिर मैंने अपने लन्ड को चूत में डालने लगा,

जैसे जैसे लन्ड अन्दर दाखिल हो रहा था वैसे वैसे मल्लू अहान आहान ओह किए जा रहा थी,फिर मैंने चुदाई शुरू कर दी,अपने लन्ड को तेजी से चूत में अंदर बाहर करने लगा,

फिर कुछ देर में मेरा माल निकाल गया,ओर उधर मल्लू भी शांत हो गई, मल्लू मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी,उसकी आंखों से लग रहा था उसको आज चर्म सुख मिला हैं, कहानी को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद…

Note ये कहानी सत्या घटना है केवल नाम और स्थान बदले हुए हैं….

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