नमस्कार दोस्तों मेरा नाम गीता हैं और मैं झारखंड की रहने वाली हूं, मेरे बूब्स का साइज 38 और गांड 42 की हैं,आज मैं आपको अपने जीवन की एक रोचक कहानी बताने जा रही हूं,
बात उन दिनों की है जब मेरी शादी हुई थी,आज से लगभग 14 साल पहले की है,मेरे पति अच्छे है लेकिन ससुर जी की बात ही अलग थी, अगर मेरे बस में होता तो ससुर जी से शादी कर लेती,
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लेकिन ऐसा हो नही सकता था,जब से मैं इस घर में आई थी ससुर जी हमेशा एक क़िताब पढ़ा करते थे, उनके बारे में बताना तो मैं भूल गई,मेरे ससुर का नाम दिलीप सिंह था,
यहां आने के बाद पता चला मेरे ससुर बड़े रंगीन किस्म के इंसान हैं क्यू की उन्हों ने अब तक 3 शादियां की थी, खैर छोड़ो मेरी तो शादी नही हो सकती मेरे ससुर जी से,एक बार की बात है,
ससुर जी बाथरूम से नहा कर बाहर आ रहे थे और उनका इतना बड़ा लंड खड़ा हुआ था, मैं तो देख कर ही गीली हो गई,बस ससुर बहू के रिश्ते की वजह से खुद को रोक लिया,
मेरी तो चाहत थी अपने ससुर से मैं चुदाई कराने की लेकिन मुझे ससुर जी की नियत का पता नही था,के वो मुझे किस नजर से देखते हैं पर कुछ ऐसा हुआ के मुझे पता चला के ससुर जी भी मेरी चूत के लिए तड़प रहे हैं,
मेरी सासू मां की बरसी थी, जिसमें नजदीकी रिश्तेदार आए हुए थे, सब कार्यक्रम समाप्त करने के बाद,मेरे पति कुछ रिश्तेदारों को छोड़ने के लिए चले गए थे,उस समय घर पर मैं और ससुर जी थे,
ससुर जी उदास बैठे हुए थे उनकी आंखे भी गीली थी, मैं उनको संवेदना देने के लिए उनके पास जा कर कांधे पर हाथ रखा और कहा कोई बात नही पिता जी आप धैर्य रखिए,
इतने में ससुर जी मुझे से लिपट कर रोने लगे, उनका एक हाथ मेरी कमर पर था तो दूसरा हाथ मेरी मेरे कूल्हे पर था,जिस तरह उन्होंने ने मुझे पकड़ा हुआ था उनका मुंह मेरे चूचियों को लग रहा था,
मैंने भी सोचा शायद ससुर जी दुःखी है इस लिए मुझ से लिपट गए मैंने भी अपना हाथ उनके सिर पर दिया और सहलाने लगी,वो रोते हुए बोल रहे थे ये मेरी पहली पत्नी थी, मेरे दिल के बहुत करीब थी,
उनकी सभी बातें मैं सुन रही थी और सोचने लगी तभी मैंने महसूस किया के ससुर जी का सिर मेरे बूब्स के ऊपर आ गया है वो धीरे धीरे ऊपर की और बढ़ रहे थे,मेरी साड़ी का पल्लू उनके सिर पर आ चुका था,
वो अब तक इतना ऊपर आ गए थे,अब उनका मुंह मेरे ब्लाउस के ऊपर था मतलब जहां से मेरे ब्लाउस के बटन शुरू होते हैं और मेरा क्लीवेज भी,उनके चेहरे का दबाव मैं अपनी चुचियों पर मेहसूस कर पर रही थी,
उनका हाथ मेरे कूल्हों पर फेरने लगे,मुझे हैरानी हो रही थी साथ ही मजा भी आने लगा था, तभी मेरे पति वापिस आ गए, क्यों की उनकी कार का हॉर्न बजा तो मुझे पता चल गया और मैं भाग कर अंदर चली गई,
अंदर आने के बाद मैं ससुर जी के सपर्श को मेहसूस करने लगी मेरा हाथ कब मेरी चूत पर चला गया मुझे पता ही नही चला,अपनी चूत को रबिंग करने लगी, अपने आप को ससुर जी के साथ सोचने लगी,
दो उंगलियों को चूत में डाल कर अन्दर बाहर करने लगी, कुछ देर बाद मेरा पानी निकल गया और मैं शांत हो गई, मगर अब मुझे पता चल गया के ससुर जी भी मेरी ठुकाई करना चाहते हैं,
अगले दिन ससुर जी घर पर ही थे, उन्होंने मुझ से चाय मांगी मैं चाय बनाते हुए उनको ही देख रही थी और ये बात ससुर जी भी जानते थे, क्यों की उन्हों पहले तो पजामा पहना हुआ था फिर अंदर गए और लूंगी में बाहर आए,
लूंगी के अंदर उन्होंने कुछ नही पहना था,वो बिल्कुल मेरे सामने बैठे हुए थे और मैं उन्हें रसोई की खिड़की से देख रही थी,वो अपने तकड़े लंड को सहला रहे थे और साथ ही मुस्कुरा रहे थे,
मैंने भी अपने ब्लाउज़ के ऊपर के दो बटनों को खोल दिया ताकि मेरे स्तन उन्हे अच्छे से दिखा सकूं, उनके इतने मोटे लन्ड को देख कर मुझे मदहोशी छाने लगी थी, मैं आपे से बाहर हो रही थी,
इतने मैं चाय बन गई और मैं चाय लेकर ससुर जी की तरफ़ धीरे धीरे बढ़ रही थी,मेरा ध्यान सिर उनके लंड के ऊपर था, जैसे जैसे मैं नज़दीक आ रही थी उनका लंड बड़ा और मोटा होता जा रहा था,
चाय की प्याली नीचे रखते समय मैने पल्लू को नीचे गिरा दिया और अपने बूब्स दीदार ससुर जी को कराया,मेरे बूब्स को देख कर उनका लंड और तन गया, पता ससुर जी को भी था के मुझे क्या चाहिए,
और पता मुझे भी है के ससुर जी को क्या चाहिए लेकिन हिम्मत उनकी भी नही थी और न ही मेरी हिम्मत हो रही थी के आगे बढ़ कर उनके लंड का स्वाद मेरी चूत को चखा सकू,
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी, कृपया इंतजार करिए अगले भाग का आप सभी के लिए जल्दी ही अगला भाग आएगा,
Note: कहानी सत्या घटना है केवल नाम ओर स्थान बदले हुए हैं…desi adult stories