शर्मिला देवर बेशर्म भाभी desi adult stories

मैं चुदाई के लिए तड़पने लगी,बात आज से सात पहले की है,जब मेरे पति के बुआ का लड़का गर्मियों की छुट्टियां बिताने आया,जब से उसे देखा

सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार,मैं बिन्दु उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूं,मेरे बदन का विवरण इस प्रकार हैं,30,29,34 हैं,मेरे पति ने मेरी जमकर चुदाई की हुई हैं,लेकिन जब से वो शहर चले गए,

मैं चुदाई के लिए तड़पने लगी,बात आज से सात पहले की है,जब मेरे पति के बुआ का लड़का गर्मियों की छुट्टियां बिताने आया,जब से उसे देखा उसी दिन से उसका लन्ड लेने के लिए मैं मचलने लगी,

उसका नाम विवेक था, देखने में बहुत हैंडसम था,बॉडी भी अच्छी हैं,इतना हैंडसम होने के बावजूद नियत का बहुत अच्छा था, लेकिन मेरी नियत खराब हो गई थी उसके ऊपर,

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अब मैं उसे रिझाने में लग गई,जब उसके सामने जाती अपनी गांड ज़्यादा मटका कर चलती,वो बस एक नजर देखता फिर मुंह फेर लेता, खाना देते समय उसके सामने ज़्यादा झुकती थी,ताकि वो मेरे बूब्स को देख सके,

बस एक नज़र देखता अगले पल मुंह दूसरी दिशा में घुमा लेता,मेरे सास ससुर हर समय घर पर रहते थे वो मुझे अकेले मिलता ही नहीं था,फिर मैंने अपने कमरे का बल्ब खराब कर दिया,

ससुर जी को बोला के “विवेक को बोल कर कमरे में नया बल्ब लगवा दे”,ससुर जी ठीक वैसा ही किया जैसा मैं चाहती थी, विवेक टेबल पर खड़े हो कर बल्ब बदलने लगा, मैं उसकी टांगो को स्पर्श करने लगी,

विवेक घबरा कर बोला भाभी आप मुझे मत पकड़ो सिर्फ टेबल को पकड़ो नहीं तो मैं गिर जाऊंगा, मैंने कहा ठीक है,लेकिन फिर थोड़ा और नजदीक जा कर उसके पैरों पर अपने बूब्स को सटाने लगी,

वो घबरा कर नीचे गिर गया, चोट तो नहीं लगी लेकिन मुझे बोला आप रहने दो, मैं खुद कर लूंगा इतना बोल कर जल्दी से बल्ब बदल कर बाहर चला गया,फिर उसी शाम को किसी रिश्तेदार की मृत्यु हो गई मेरे सास ससुर को जाना पड़ा,

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अब घर पर केवल मैं और विवेक रह गए,रात को विवेक बहुत देर से आया, मैंने उसे बोला तुम मेरे पास सो जाना ,वो बोला नहीं भाभी मैं अपने कमरे में सोऊंगा,मैने कहा अकेले मुझे डर लगता है,फिर वो मान गया,

खाना खाने बाद हम दोनो साथ में सोने लगे, मैंने पूछा विवेक में तुम्हें अच्छी नहीं लगती क्या,वो बोला नहीं भाभी ऐसी बात नहीं है आप तो बहुत अच्छी हो,मैने कहा अच्छा तो मुझ से दूर दूर क्यों रहते हो अभी भी देखो कितना दूर सो रहे हो,

इतना बोलते ही वो मेरे थोड़ा नज़दीक आ गया, मैंने नाइट सूट पहना हुआ था जो ऊपर से बहुत ढीला था और मेरे बूब्स आधे से ज़्यादा बाहर निकलने हुए थे,फिर मैंने कहा मुझे आईस क्रीम चाहिए,फ्रिज में रखी है ले आयो,

फिर वो आईस क्रीम ले कर आ गया,मैने कहा मुझे अपने हाथ से खिलाओ,वो थोड़ा शर्माते हुए बोला भाभी…आप खुद से खा लो, मैंने कहा मुझे पता था मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती,फिर उसने अपनी ऊंगली से मुझे जैसे ही आईस क्रीम खिलाने लगा,

मैंने उसकी ऊंगली को मुंह से पकड़ लिया और कामुकता भरी अदाओं से उसे चूसने लगी,अब उसका भी खड़ा होने लगा, उसके शॉर्ट्स पर उभार आने लगा,फिर मुझे दोबारा खिलाने लगा तो आइस क्रीम मेरे बूब्स की दरार में चली गई, मैंने कहा ओह अहा निकालो इसे बहुत ठंडा लग रहा है,

मेरे प्यारे देवर जैसे हो मेरे बूब्स में अपना हाथ डाला,उसने हाथ दोबारा नहीं निकला वो मेरे बूब्स को दबाने लगा,जो मैं भी चाहती थी,मेरे निप्पल को पकड़ कर चोटी काटने लगा, मैंने नाइट सूट को उतार दिया,

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वो मेरे बूब्स पर लगी आईस क्रीम को चाटने लगा, मैं तो पहले से ही प्यासी थी,अब तो तड़पने लगा, मैंने उसको अपने ऊपर लिटा लिया, और उसके होठों को चूमने लगी,उसका लन्ड बहुत बड़ा था,मैने हाथों से उसको माप लिया,

मैंने ब्रा निकाल दी,वो मेरे निप्पल को जुबान से चाटने लगा,मेरे पूरे बदन पर चूमने लगा,मेरा बदन पानी पानी होने लगा,क्यों कि ऐसा मेरा पहला अनुभव था,उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया,फिर उसने आईस क्रीम मेरी योनी पर लगाई और चाटने लगा,

मैं तो आह आह्ना आह आह्ना ओह अम्मम करने लगे, मैं अलग ही दुनिया में पहुंच गई,आनंद चर्म आनंद प्राप्त हो रहा था,वो मेरी चूत में अपनी जुबान को डाल रहा था,अब तक में दो बार झड़ चुकी थी, काम वासना पूरे वातावरण में फैल गई थी,

फिर उसने अपने लन्ड सहलाया और मेरी चूत के मुहाने पर रख कर, झटका मारा,इतना मोटा लन्ड जब मेरे अंदर गया मेरी तो जान निकलने वाली थी,
फिर विवेक ने एक झटके से लन्ड को अंदर पेल दिया और झटके मारने लगा,

लन्ड अन्दर बाहर हो रहा था,फिर विवेक ने तेज़ी से चुदाई करनी शुरू कर दी, पट पट चट चट चट की आवाज़ें गूंज रही थी और में चरम सुख प्राप्त कर रही थी,फिर थोड़ी देर बाद विवेक झड़ गया,उस दिन हमने तीन बार चुदाई की, कहानी को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद…

Note: कहानी सत्या घटना है केवल नाम ओर स्थान बदले हुए हैं…desi adult stories

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