देवर और भाभी की बस यात्रा
रात के दस बज रहे थे। गाँव की सुनसान गलियों में हल्की सी हवा चल रही थी। पूजा अपने कमरे में बैठी थी, उसने पिंक सूट पहना हुआ था,बाल खोले हुए थे और चेहरे पर हल्का सा काजल। आज उसे…
रात के दस बज रहे थे। गाँव की सुनसान गलियों में हल्की सी हवा चल रही थी। पूजा अपने कमरे में बैठी थी, उसने पिंक सूट पहना हुआ था,बाल खोले हुए थे और चेहरे पर हल्का सा काजल। आज उसे…